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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कठोर परिश्रम से मन चाही मंझिल तक की यात्रा
✍ लेखक की कलम से......
लाड प्यार से शिष्य ओर संतानें बिगड़ती है, लाड प्यार सिमित शिमाएं तक ही ओना चाहिए, ज्यदा लाड प्रेम में पली बढी संतानों को मिली जूली प्रगति से ही संतुष्ट होना पड़ता है यह सत्य है जी......
जन्म स्थान से स्थालान्तरित…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: बैलगाड़ी री गणन्तरी…..
बैलगाड़ी री गणन्तरी.....
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मारवाड़ी कवि करे बैलगाड़ी रा वखाण.... 👌
मैं दैखीया बडैरा ने
बैलगाड़ी हूबो हूब बणावता
कठै वे बैलगाड़ीयो ने
कठै धोळा बळदों री वे जोड़ीयों
इण जमाना रे माये
वे सपना री बातों वेईग्ई…
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कवि अशोक शर्मा की कलम से: मेहनत रो पाणी
मेहनत रो पाणी
रात बीजळ कड़की ही ,हिंय में सांसा अटकी ही
पाळ बांधण वाला रे ,आज हिवड़े में बात लटकी ही
घणे हैत सूं घणे कोड सु, हळ ने जद मैं जोतयो हो
फसल कोणी हिंय री कोर समझी,पाणी कम पसीणे सूं सींची ही
रात बिजळ...
रात देखी ना दिन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: श्रृंगार सुन्दर है कविता का
श्रृंगार सुन्दर है कविता का
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ऐ मेरी प्यारी-सी कविता
शब्दों से श्रृंगार करु तेरा
तू साथ रहती है तो
मान बढाती है मेरा
संपादकों के फोन आते
पहले नाम लेते तेरा
तब मैं कहता हूं ओ मेरे भाई
कविता लिखकर हो गई मेरी तैयार…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की अलौकिक दुनिया
कवि की अलौकिक दुनिया
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माँ शारदे की उपासना करते करते
कवि पहुंचा अलौकिक दुनिया में
जहा माँ का मिलता है आशिर्वाद
तहा खुलते है ज्ञान के किवाड़
ना भान रहा ना ज्ञान
प्रकाश शून्य सा हो गया…
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नगर में गूंजे लीलाशाह-शहंशाह के जयकारे: स्वामी लीलाशाह जयंती पर सिंधी पंचायत ने निकाली संकीर्तन…
मथुरा: सिंधी समुदाय के मार्गदर्शक आध्यात्मिक गुरू स्वामी लीलाशाह महाराज की 143 वीं जयंती गुरूवार को उत्साहपूर्वक मनाई गई, इस मौके पर नगर में एक संकीर्तन यात्रा निकाली गई।
गुरूवार को सर्वप्रथम बहादुर पुरा स्थित सिंधी धर्मशाला में स्वामी…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: छेल भंवर मारो डर गियो फागण महिना में…
छेल भंवर मारो
डर गियो फागण महिना में...
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छेल भंवर मारा जपने रेईजे रे...
ओ महिनों फागण रो....
हा हा ओ महिनों फागण रो..
साथीड़ों रे साथ भले जाईजे रे...
पर उलटी लाईन मत पकड़ जे रे..
दारु भोंग डोडा सू थू दूर रेहिजे रे..…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: रंग पंचमी ब्रज की
|| रंग पंचमी ब्रज की ||
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मैंने देखी है ब्रज की रंग पंचमी
ब्रज की रंग पंचमी है महान
गोपियों संग कान्हा खेले हैं
सप्त रंगों की करें है बरसात
ब्रज में भाभी संग खेले हैं देवर
साली संग खेले है जीजा…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: होली रो महत्व है महान
होली रो महत्व है महान
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ओ है होली रो त्योहार
होली है रंगों रो त्योहार
बृज री होली घणी है महान
भाभी संग देवर सा खेले हैं होली
साली संग खेले हैं बहनोई सा
दोस्तों संग दोस्त खेले होली
ओ रंग…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: फागण री मस्ती,गणी है सस्ती
फागण री मस्ती,गणी है सस्ती
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जीणी जीणी उड़े रे गुलाल
गौरी थारा गांव में.....
पेहलो फागण खेलण ने आयो
गौरी थारा गांव में.....
साथी ड़ा ने साथे लायो
चार दिन वास्ते उणने मनायो
पेहली होली मनावण आयो
गौरी थारा गांव…
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