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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्री-वेडिंग नहीं है रित हमारी

✍ लेखक की कलम से....... वर्तमान के युग में प्रचार-प्रसार के अनेकों माध्यम के द्वारा अनेक सांस्कृतिक रिती-रिवाजों का आदान-प्रदान बड़ी ही तेजी से हो रहा है इसमे कुछ भी संदेह नहीं है, ओर यह संदेह होना भी नहीं चाहिए कारण खुलम खुला समाज,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: नेत्र, जिह्वा के शौक है हजार; नशा है हि सर्व…

लेखक की कलम से.... नेत्र जिह्वा के शौक है हजार..... नेत्र व जिह्वा के शौक यह दृष्टी सुख व स्वाद रस की पूर्तता कराने वाले शौक है जो अमली पदार्थों के शौक की श्रैणी में नहीं आते है पर यह शौक भी हम नहीं किसी से कम वाले शौक ही है, जब तक यह…
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घेवरचन्द आर्य पाली की कलम से: सामाजिक कुरितियों के विरूद्ध 103 वर्षीय दादी लक्ष्मीदेवी का शंखनाद

लेखक: घेवरचन्द आर्य पाली की कलम से लक्ष्मीदेवी का सक्षिप्त परिचय नाम- तीजा उर्फ लक्ष्मीदेवी पिता का नाम- माधोराम जन्म तिथि- विक्रम संवत् 1977 कार्तिक शुक्ल तीज शुक्रवार दिनांक 12 नवम्बर 1920 जन्म स्थान- दयालपुरा जिला पाली, राजस्थान…
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राम भगत शर्मा की कलम से: महादेव ने नटेश्वर और गणेश जी ने नटेश बन कर कालप्रीत के अज्ञानता के अंधकार…

चंडीगढ़: जीवन में जिस किसी को भी सर्वेश्वरदयाल परमात्मा के नाम की लगन लग गई है उसके ज्ञान चक्षु खुल जाते हैं और ऐसे परम भक्त को इस सांसारिक रुपी मोह माया के जाल से सहज रूप से ही विरक्ति होने लगती है और ऐसे भक्त का भाग्य उदय होना शुरू हो जाता…
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दीपक आहूजा की कलम से: हृदय की वेदना

हृदय की वेदना कोई धड़कनें न सुन ले, हृदय की वेदना संभालिए, पाषाण बन के बैठ कर, मन की तृष्णा मिटाइए। कभी स्थिर, कभी विचलित, बदलती यह हर-पल, प्रियतमा की राह तकते, सिमट जाए यह सकल। भीषण प्रहार कर रहीं, विगत स्मृतियों की आँधियां,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गौडवाड़ के कवि से मिलने कभी भी गूगल पर आ जाओ, आपका स्वागत…

हर पल हर घड़ी हाजिर मिलेगा आपकी सेवा में आपका यह सेवक कवि........ "ज्ञान ज्योति दर्पण की वेवसाईड" के किवाड़ खोलना ना भूले..... कवि निवेदन.... ⬇ नाम दलीचंद जांगिड बतावे गांव खौड जिला पाली बतावे गौडवाड़ जांगिड समाज रो बेटो बतावे कविता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पर्यावरण दिवस

पर्यावरण दिवस ======================= वन मे वृक्षों का वास रहने दो झील झरनों मे मे साँस रहने दो वृक्ष होते है जगंल के वस्त्र छीन मत लेना, यह लिबास रहने दो वृक्ष पर घोसला है चिड़िया का तोड़ो मत यह निवास रहने दो पेड़ पौधे है चिराग है…
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दीपक आहूजा की कलम से: अंतस् की खोज

अंतस् की खोज आज अंतस् में यह कैसी, अविरल गहन शाँति है, विचलित था जो मन मेरा, टूट गई इसकी भ्रांति है। कसक जो उठती थी, आज देखो विलुप्त हो रही, यह ज्ञान चक्षु तो खुल गए, हो गयी नयी क्रांति है। परम शाश्वत, परमानन्द ईश्वर भी, जैसे मिल…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं राजस्थान हूं……

मैं राजस्थान हूं...... पीड़ाएं मेरी पर्वत सी हो गई है अब ये पीगलनी चाहिए एक नहर हिमालय से सुखे प्यासे राजस्थान के लिए निकलनी चाहिए खेत जमीन बहुत है मेरे पास बिन पानी उगा ना पाऊं अनाज देश वासीयों के लिए पेट भर मजदूरी मिली नहीं…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: विषमता खाँडमिला एक जहर ही है

 लेखक की कलम से...... जाति एक समाज एक पर रुपयों पैसों से पैदा हुई विषमता यह खाँड मिला एक प्रकार का विष ही है जो समाज में भेद भाव करने पर तुला है, यह सभ्य समाज के लिए गौरव की बात नही है। अमीरी-गरीबी यह तकदीर में लिखी हस्त रेखाओं का फर्क हो…
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