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स्पेशल स्टोरी
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं राजस्थान हूं……
मैं राजस्थान हूं......
पीड़ाएं मेरी पर्वत सी हो गई है
अब ये पीगलनी चाहिए
एक नहर हिमालय से सुखे प्यासे
राजस्थान के लिए निकलनी चाहिए
खेत जमीन बहुत है मेरे पास
बिन पानी उगा ना पाऊं
अनाज देश वासीयों के लिए
पेट भर मजदूरी मिली नहीं…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: विषमता खाँडमिला एक जहर ही है
लेखक की कलम से......
जाति एक समाज एक पर रुपयों पैसों से पैदा हुई विषमता यह खाँड मिला एक प्रकार का विष ही है जो समाज में भेद भाव करने पर तुला है, यह सभ्य समाज के लिए गौरव की बात नही है। अमीरी-गरीबी यह तकदीर में लिखी हस्त रेखाओं का फर्क हो…
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दीपक आहूजा की कलम से: सकल संसार
सकल संसार
मन में पिया की तस्वीर, इस तरह विराजमान है,
दिखती है छवि उनकी, सुंदरता का बखान है।
सकल संसार ढूँढ कर आया, नैन हो गए भारी,
अपने हृदय में डूब कर, तरने की कर ली तैयारी।
पीहू बोले, पपीहा बोले,…
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दीपक आहूजा की कलम से: सच्ची तपस्या
सच्ची तपस्या
सच्चा प्रेम तो, एक सच्ची तपस्या ही है,
दिल में विराजमान, दिल में बसा ही है।
सहारा नहीं, विश्वास का साथ चाहता है,
सिर्फ़ प्रियतम से नहीं, ईश्वर से नाता है।
अपना सर्वस्व त्याग कर, पराकाष्ठा पाई,
तब कहीं जा के, हृदय में…
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नई संसद का उद्धघाटन: ‘हमें अगले 25 वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है’: नई संसद…
नई संसद का उद्घाटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन में अपना पहला भाषण दिया और नए और आधुनिक परिसर की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने उल्लेख किया कि किस प्रकार संसद के सुचारू संचालन के लिए आवश्यकताएं हैं। प्रधानमंत्री ने…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: माँ से मिलता है ज्ञान का रसपान
माँ से मिलता है ज्ञान का रसपान
माँ शारदे के चरणो में हर रोज बैठता हूं तब "ज्ञान का रसपान" हर रोज कराती है माँ शारदे मेरी.....
उपासना में बैठता हूं तब हर रोज माँ दर्श दिखलाकर आशिर्वाद देती है मुझे हर रोज माँ शारदे मेरी......
लिखने…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सब कुछ बदल गया……..?
सब कुछ बदल गया........?
मेरा देश नदियों का देश है
पानी का यहां मोल होगा
बोतल में पानी 20/- का बिकेगा
मुझे नहीं पता था....
मेरा देश खेती प्रधान रहा
गोबर खाद से खेती होती थी
खेतों में युरिया खाद बिखेरेंगे
मुझे नहीं पता था....
मेरे…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: लेखक, कवि व पत्रकार बनना नहीं हैं इतना आसान…..?
लेखक व कवि बनना नहीं हैं इतना आसान.....?
यह कथन 100 % सत्य है इसका कारण यह है की हेड लाईन एक मिलती है लिखने के लिए पर उसे कविता में गाने (लिखना) के लिए लिखना बड़ा ही मुश्किल काम होता है, कौनसा शब्द कहा बिठाना यह समझ आने में बर्षो का समय लग…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सत्य को जानो एक को पहिचानो
लेखक की कलम से.....
मैं कौन हूं
हर रोज प्रातकाल व सांयकाल में एक आधा घंटा अपने घर में एकान्त में गर्म आसन(वूलन आसान) पर आंखे बंद कर बैठकर शांत मन से अपने आप से प्रश्न यह करो की मैं कौन हूं, मुझे करना क्या है, मैं किस लिए इस पृथ्वी पर आया…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शिक्षा ही एक प्रगति का विकल्प
लेखक की कलम से.......
शिक्षा ही समाज विकास का एक महत्वपूर्ण विकल्प है जो समाज को आगे प्रगति पथ पर ले जा सकता है यह समय अब आ चुका है। जो अब समाज को स्विकार करना होगा व इस पर हर माता-पिता को ध्यान देना चाहिए कि वे अपने बच्चों को उच्च…
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