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स्पेशल स्टोरी
सुरों की मल्लिका को आखरी सलाम: वो आवाज वो जादू …मेरी आवाज ही पहचान है… लता मंगेशकर, वो…
नई दिल्ली (जीजेडी न्यूज ब्यूरो): उसने प्यार और लालसा के साथ हमारे दिलों को एक सप्तक या उससे अधिक ऊंचा कर दिया, हमें खुशी और दुख के आंसुओं में ले जाया, कभी आत्मनिरीक्षण किया और कभी-कभी त्याग में नृत्य किया, उसकी आवाज हमारी हर भावना को…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: समाज जाजम की महिमा
✍️ लेखक की कलम से......
समाज की जाजम महान् होती है..
सारा समाज जहां एक साथ आम सभा का आयोजन करता है, वह समाज के सभी आदरणीय बैठते है, वह अनेक समाज हित के निर्णय लिए जाते है, वहा पर जो आसन की व्यवस्था की जाती है वह समाज की जाजम कहलाती है।…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जिद्द और परिश्रम
जिद्द ओर परिश्रम
✍️ लेखक की कलम से....
जिद्द ताकतवर हो ओर भरपुर साथ मिले परिश्रम का तो कोई काम मुश्किल नही होता है.....
पहली बार में सफलता नही मिले तो भी चिन्ता मत किजीये।
प्रत्येक प्रयत्नेन सम्भवत :
सफलता न प्रान्पोति।
किन्तु…
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मुल्क राज आकाश की कलम से: सौगात
मुल्क राज आकाश की कलम से
सौगात
जिसके सिर पर तेरा ही हाथ है
यह तेरी मेहर की ही तो बात है
1... जिसे ना पूछता कोई भी जमाने में
नाम शोहरत है अब जमाने में
अपना कुछ नहीं यह तेरी ही सौगात है
2... गरीब नवाज हे तु हमदर्द गम खार हे तु…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: चारों वेद प्रथम दर्शनी प्रस्तावना
चारों वेद प्रथम दर्शनी प्रस्तावना
वेद सृष्टि के आदि में परमात्मा द्वारा दिया गया दिव्य अनुपम ज्ञान हैं। वेद सार्वभौमिक और सार्वकालीन है। सृष्टी बन गई तो इसमें रहने का कुछ विधान भी होगा उसी विधान का नाम है वेद।
वेद चार हैं -…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की धनसंपदा
महाराष्ट्र: कवि शब्दों की दुनिया में उपासक स्वरुप होता है, करुणा, दया, क्षमा, याचना, प्रार्थना,उपासना, प्रेम ये सब बालक कवि के प्रेमी मित्र होते है। वह कवि इन छोटे शिशु सखाओं के साथ अठखेलियाँ करता रहता है, बाल लिलाएं करता रहता है, इसीलिए…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : विरोधक शत्रु नही होते, वे गुरु ही होते है जी
कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : विरोधक शत्रु नही होते, वे गुरु ही होते है जी
कुछ लोग रास्ते में..
"गड्ढे" खोदने का काम करें,,,
तो परेशान मत होना ये वही लोग हैं
जिनकी वजह से "आप"..
"छलांग" लगाना सीख जाएँगे...!!
…
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मुल्क राज आकाश की कलम से : तेरे दिल की ये तंग गलियां
तेरे दिल की ये तंग गलियां
तेरे दिल की तंग गलियों से कैसे निकलूं बता।
हर मोड़ पर परेशानी खड़ी रहती है यारों।
ना डर होता, ना फिकर अगर हों रास्ते खुले तो,
तेरे रास्तों पर बेखौफ हो निकल जाती यारों।
तंग दिल्ली में जीना नहीं होता आसान…
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