Browsing Category
काव्यलोक
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: यादें जन्म भूमि की……
यादें जन्म भूमि की......
=====================
हवाओं से कहना की........
वे अपना रुख ना बदले
मैं अपनी जन्म भूमि की
कुछ यादें वही छोड़ आया हूं.....
ना उचाले इधर उधर
स्मर्णिका मेरे नयन दृष्यों की
जन्म भर निवास के लिए
नसीब मेरे नहीं…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: वर्तमान में जीने की आद्दत बनाओ
✍ लेखक की कलम से......
सब कुछ वर्तमान में ही संभव है
भूतकाल, वर्तमान काल व भविष्य काल ये तीनों काल में से सर्वोत्तम काल तो प्रबुध्द ज्ञानीयों ने वर्तमान काल को ही माना है, कारण भूतकाल बीत चुका है वह फिर लौटकर नहीं आता है व भविष्य को जानने…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गांवों से शहर की ओर
उपर की चित्रावली ही इस ग्रामिण जनता शहर की ओर...... के सफर को दर्शाने के लिये काफी है जी!
यह कहानी है उस हर समाज की जो चालीस, पच्चास बर्षो से नित्य निरन्तर गांवों से शहर की ओर कूच कर रहे है जो गावों मे पैत्रिक काम धन्धे धीरे धीरे कम हो रहे…
Read More...
Read More...
माँ को समर्पित कविता: माँ तुझे सलाम माँ तुझे प्रणाम: डीएसपी यशपाल सिंह खटाना
दमदमा के लोगों से यह हमने सुनी कहानी थी।
डीएसपी यशपाल की माता दयावती नूरानी थी।
समसू बोहरा भगवती के घर समसपुर में जन्म लिया।
और रामपाल को बांधी राखी भाई का था लाड किया।
मांगे पूरी होती उनकी जो इनके घर में आ जाता
इनके…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: 50 बर्ष पेला मैं दैखीया बडैरा ने बैलगाड़ी लकड़ी री…
50 बर्ष पेला मैं दैखीया बडैरा ने
बैलगाड़ी लकड़ी री बणावता....
======================
एक मारवाड़ी कवि करे बैलगाड़ी रा वखाण 👌
जद करु वात बैलगाड़ी री तो ऐ छुट्टा भाग उण रा याद गणा आवै सा.... ⬇
ठाट्टो, उद, जऊड़ो, खील्ली,…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि यादगार बनाते है….
कवि यादगार बनाते है....
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
हम कवि स्वर्ग में जाने की ईच्छा तो नहीं रखते है पर जहा जाते है वहा स्वर्ग सा माहौल जरुर बना देते है.....
हम…
Read More...
Read More...
कवि अशोक शर्मा की कलम से: नयन या नेत्रहीन
नयन या नेत्रहीन
समझ जाता हूँ स्वभावो को मैं, अभावो के संघर्षों को
स्पर्शो को भाषा को , निष्छल हँसी और विश्वासो को
सब कुछ सीखा देती हैं वो आशाओ के आँखे मुझको
हाँ तू देख मुझे और मेरे चलते डरते कदमो को
क्या विषय ,क्या विश्वास, अपने जीवन…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: किताब व ग्रन्थ में क्या फर्क है……?
✍ लेखक की कलम से.....
किताबों में वह ग्रन्थों में बहुत सा फर्क होता है, किताबों में ज्ञान होता है इतिहास लिखा होता है परन्तु ग्रन्थ वह होता है जो हमारे मन व मस्तिष्क की ग्रन्थियों को खोल देता है वह ग्रन्थ कहलाता है जी, हमारे वैदिक काल को…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कठोर परिश्रम से मन चाही मंझिल तक की यात्रा
✍ लेखक की कलम से......
लाड प्यार से शिष्य ओर संतानें बिगड़ती है, लाड प्यार सिमित शिमाएं तक ही ओना चाहिए, ज्यदा लाड प्रेम में पली बढी संतानों को मिली जूली प्रगति से ही संतुष्ट होना पड़ता है यह सत्य है जी......
जन्म स्थान से स्थालान्तरित…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: बैलगाड़ी री गणन्तरी…..
बैलगाड़ी री गणन्तरी.....
*****************************
मारवाड़ी कवि करे बैलगाड़ी रा वखाण.... 👌
मैं दैखीया बडैरा ने
बैलगाड़ी हूबो हूब बणावता
कठै वे बैलगाड़ीयो ने
कठै धोळा बळदों री वे जोड़ीयों
इण जमाना रे माये
वे सपना री बातों वेईग्ई…
Read More...
Read More...