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काव्यलोक
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पर्यावरण दिवस
पर्यावरण दिवस
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वन मे वृक्षों का वास रहने दो
झील झरनों मे मे साँस रहने दो
वृक्ष होते है जगंल के वस्त्र
छीन मत लेना, यह लिबास रहने दो
वृक्ष पर घोसला है चिड़िया का
तोड़ो मत यह निवास रहने दो
पेड़ पौधे है चिराग है…
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दीपक आहूजा की कलम से: अंतस् की खोज
अंतस् की खोज
आज अंतस् में यह कैसी, अविरल गहन शाँति है,
विचलित था जो मन मेरा, टूट गई इसकी भ्रांति है।
कसक जो उठती थी, आज देखो विलुप्त हो रही,
यह ज्ञान चक्षु तो खुल गए, हो गयी नयी क्रांति है।
परम शाश्वत, परमानन्द ईश्वर भी, जैसे मिल…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं राजस्थान हूं……
मैं राजस्थान हूं......
पीड़ाएं मेरी पर्वत सी हो गई है
अब ये पीगलनी चाहिए
एक नहर हिमालय से सुखे प्यासे
राजस्थान के लिए निकलनी चाहिए
खेत जमीन बहुत है मेरे पास
बिन पानी उगा ना पाऊं
अनाज देश वासीयों के लिए
पेट भर मजदूरी मिली नहीं…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: विषमता खाँडमिला एक जहर ही है
लेखक की कलम से......
जाति एक समाज एक पर रुपयों पैसों से पैदा हुई विषमता यह खाँड मिला एक प्रकार का विष ही है जो समाज में भेद भाव करने पर तुला है, यह सभ्य समाज के लिए गौरव की बात नही है। अमीरी-गरीबी यह तकदीर में लिखी हस्त रेखाओं का फर्क हो…
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राम भगत शर्मा की कलम से: प्रभु भक्त के पास प्रेम, करुणा और क्षमा तथा संन्तोष रुपी अमोघ रामबाण
राम भगत शर्मा (चंडीगढ़) की कलम से
जीवन में जिस भी प्रभु भक्त के पास प्रेम, करुणा और क्षमा तथा संन्तोष रुपी अमोघ रामबाण हैं तो इनको आत्मसात करते हुए ही परमात्मा का एक अनन्य भक्त उस सर्वेश्वर को पाने के लिए लालायित हो उठता है और प्रभु भक्ति…
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दीपक आहूजा की कलम से: सकल संसार
सकल संसार
मन में पिया की तस्वीर, इस तरह विराजमान है,
दिखती है छवि उनकी, सुंदरता का बखान है।
सकल संसार ढूँढ कर आया, नैन हो गए भारी,
अपने हृदय में डूब कर, तरने की कर ली तैयारी।
पीहू बोले, पपीहा बोले,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सम्मान ही प्रगति का बुस्टर डोस आगे बढना
लेखक की कलम से......
किसी भी समाज के सार्वजनिक मंच पर सम्पूर्ण समाज के मान्यवर नागरिकों की उपस्थिती में किसी को उच्च अंक/पद प्राप्ति के लिए किसी युवा/युवती को सम्मानित करना ही उस समाज के हर युवा व युवती के लिए एक "प्रगति का बुस्टर डोस" ही…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शिक्षा ही एक विकल्प है समाज प्रगति के लिए…..
शिक्षा ही एक विकल्प है समाज प्रगति के लिए.....
मैं बडैरों ने केवता सुणीया था के......
भणीया पडीयोड़ा रे चार आंखीयों होवे
जद मने पढ़ाई रो महत्व ध्यान मे आयो
ले पाटी पेण पेमजी मारसा री स्कूलगयो
डंडा पड़ीया हाथ पर अण गिणत
दो आंगळीयो रे…
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दीपक आहूजा की कलम से: सच्ची तपस्या
सच्ची तपस्या
सच्चा प्रेम तो, एक सच्ची तपस्या ही है,
दिल में विराजमान, दिल में बसा ही है।
सहारा नहीं, विश्वास का साथ चाहता है,
सिर्फ़ प्रियतम से नहीं, ईश्वर से नाता है।
अपना सर्वस्व त्याग कर, पराकाष्ठा पाई,
तब कहीं जा के, हृदय में…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कविता माँ शारदे का प्रसाद है
कविता लेख यह माँ शारदे का दिया हुआ प्रसाद हि है......
जो माँ शारदे के चरणों में बैठकर उपासना करने के उपरान्त माँ शारदे की कृपा दृष्टि से मिलता है जो पहले घर के देवता के मंदिर में चढ़ाया जाता है व तद्पश्चात उसका वितरण किसी प्लेट फार्म पर…
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