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काव्यलोक

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद ............................................................... रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है। उलझनें अपनी बनाकर आप हीफॅसता, और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है। जानता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: चारों वेद प्रथम दर्शनी प्रस्तावना…….

वेद सृष्टि के आदि में परमात्मा द्वारा दिया गया दिव्य अनुपम ज्ञान हैं। वेद सार्वभौमिक और सार्वकालीन है। सृष्टी बन गई तो इसमें रहने का कुछ विधान भी होगा उसी विधान का नाम है वेद। वेद चार हैं - ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्ववेद। चारों…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सच्चा समाज सेवक

सच्चा समाज सेवक 🌹🕉🌹🕉🌹🕉🌹🕉🌹 🏃🏾‍♂....लाडपुरा का लाल.... लाडपुरा से निकला सुकून लेकर एक शकून की तलाश में गांव गलियारे से निकला 🏃🏾‍♂.... एक शहर की ओर गांधीधाम में विस्तार पाया अनंत लोगों से सम्पर्क जमाया कर परिश्रम अति कठोर माँ…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जांगिड सुथार समाज का “विश्वकर्मा महाकुंभ”

जांगिड सुथार समाज का "विश्वकर्मा महाकुंभ" "विश्वकर्मा महाकुंभ" की तैयारियां, हो रही है जयपुर में जोर तौर से..... कविता व लेख लिखना ये हंगामा खड़ा करना मकसद नही है मेरा, समाज में प्रगति की लहर दोड़ी चली आएं !! जांगिड सुथार समाज…
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नरेंद्र शर्मा परवाना की कलम से: सृष्टि में प्रथम गुरु पिता है संतान का पूरा संसार है

किसी भी संतान के लिए उसका पिता यकीनन पूरा संसार है। पिता संतान के लिए आदर्श है। क्योंकि पिता में सारी की सारी योग्यताएं मौजूद हैं। पिता संतान का मित्र है, गुरु है, रक्षक है, संरक्षक है और पिता ही तो मार्गदर्शक है। स्कंद पुराण की गुरु गीता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पढंरपुर वारी

पढंरपुर वारी ............................ पढंरी ची वारी ला नाचत नाचत मी चाललो विठ्ठला चा द्वारी संसारी आठवणी विसरुन सारी अंग माझे जागृत होते मन माझे सून झाले भक्ति रसात मी बुड़ालो हरि किर्तन करित करित अन्तर ध्यानात् मी बुड़ालो  …
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नरेंद्र शर्मा परवाना की कलम से: यकीनन पिता संतान का पूरा संसार है

कविता: यकीनन पिता संतान का पूरा संसार है पिता का दर्जा भगवान से भी से भी ऊंचा है। पिता गृहस्थ की छत है, पिता बच्चों के सिर पर गगन है। पिता जीवन की सुगंध है, पिता तो महकता हुआ चमन है। पिता ज्ञान का उजाला है, दिल की धड़कन है, दीन-ईमान…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की धनसंपदा

कवि शब्दों की दुनिया में उपासक स्वरुप होता है, करुणा, दया, क्षमा, याचना, प्रार्थना,उपासना, प्रेम ये सब बालक कवि के प्रेमी मित्र होते है वह कवि इन छोटे शिशु सखाओं के साथ अठखेलियाँ करता रहता है,बाल लिलाएं करता रहता है, इसीलिए कवि रमता योगी…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कविता अमर रहती है (सिरियल न. 3)

कविता अमर रहती है(सिरियल न. 3) ======================= लोग कहते है कविता समय बर्बाद करती है, ये क्या कम है कि कवि जाने के बाद दुनिया याद करती है !! कविता व लेख लिखना ये हंगामा खड़ा करना मकसद नही है मेरा, समाज में प्रगति की लहर…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: चिन्ता करता हूं भावी पिडीयों की

चिन्ता करता हूं भावी पिडीयों की ............................................. पीड़ाएं मेरी पर्वत सी हो गई अब ये पिगलनी चाहिए एक नदी हिमालय से सुखे प्यासे राजस्थान के लिए अब अवश्य निकलनी चाहिए खेत जमीन बहुत है मेरे पास पानी बिन ऊगा…
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