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काव्यलोक

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: विश्वकर्मा जयन्ती का गौरव

विश्वकर्मा जयन्ती का गौरव विश्वकर्मा जयन्ती के शुभ अवसर पर खुले है भाग जांगिड समाज के..... टेर विश्वकर्मा जयन्ती के शुभ अवसर पर जागे भाग गुलाल के..... टेर हर कोई विश्वकर्मा जी के भजन गावे कोई कोई चुटकलें सुनावै अलग अलग अंदाज…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: राह थी अनजान…..

राह थी अनजान..... ================ अभागे पैर मेरे चल पड़े ना जाने कौन सी डगर ठहरेंगे ना पत्ता था मुझे भविष्य का ना पत्ता था कर्म भुमी का ना पत्ता था सद मार्ग कहा मेरा मैं तो राही बन चल पड़ा था राह अनजान थी मेरी कभी सोचा ही नही था…
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मुल्क राज आकाश की कलम से गीत: साथ तो हर पल है

गीत : साथ तो हर पल है मेरी हर मुश्किल का तू ही हल है। है भरोसा पूरा साथ तू हर पल है।। मेरा कोई काम कभी रुक ना पाता। रखवाला बनकर हमेशा तू आता। तभी तो जिंदगी का हर क्षण सफल है। है भरोसा पूरा साथ तू हर पल है...... थक जाता जब मैं तू…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: समाज जाजम की महिमा

✍️ लेखक की कलम से...... समाज की जाजम महान् होती है.. सारा समाज जहां एक साथ आम सभा का आयोजन करता है, वह समाज के सभी आदरणीय बैठते है, वह अनेक समाज हित के निर्णय लिए जाते है, वहा पर जो आसन की व्यवस्था की जाती है वह समाज की जाजम कहलाती है।…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जिद्द और परिश्रम

जिद्द ओर परिश्रम ✍️ लेखक की कलम से.... जिद्द ताकतवर हो ओर भरपुर साथ मिले परिश्रम का तो कोई काम मुश्किल नही होता है..... पहली बार में सफलता नही मिले तो भी चिन्ता मत किजीये। प्रत्येक प्रयत्नेन सम्भवत : सफलता न प्रान्पोति। किन्तु…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शहरों के विकास में जांगिडों का सहयोग

जीजेडी न्यूज ब्यूरो: कोरोना काल के पहले गांवो से आए हुए यह लोग शहर से अब कोरोना डर के कारण ही चले गांवों की ओर...... वास्तविकताओं को नकारा नही जा सकता है। शहर का विकास इन्हीं गांव के लोगों ने किया है। शहर के लोग तो मजदूरी देने में सबल है,…
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मुल्क राज आकाश की कलम से: सौगात

मुल्क राज आकाश की कलम से सौगात जिसके सिर पर तेरा ही हाथ है यह तेरी मेहर की ही तो बात है 1... जिसे ना पूछता कोई भी जमाने में नाम शोहरत है अब जमाने में अपना कुछ नहीं यह तेरी ही सौगात है 2... गरीब नवाज हे तु हमदर्द गम खार हे तु…
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मारवाड़ी कवि प्रकाश चन्द जांगीड़ की कलम से गद्य,पद्य मिश्रण भाषा-मारवाड़ी: ओपी सुदार-सुदार करता-करता…

गद्य,पद्य मिश्रण भाषा-मारवाड़ी ओपी सुदार-सुदार करता-करता खुद विगड़ रिया हो। कीकर तो इउ! एक दूजा ने देखी-देखी ने बळो, बोलवाराफोडा पड़े, आवे जिउ ई अडिगा ठोक दो। कोई की केवा री कोशस करें, उण उ पेला उण री वात काट दो। विना समजिया…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: चारों वेद प्रथम दर्शनी प्रस्तावना

चारों वेद प्रथम दर्शनी प्रस्तावना वेद सृष्टि के आदि में परमात्मा द्वारा दिया गया दिव्य अनुपम ज्ञान हैं। वेद सार्वभौमिक और सार्वकालीन है। सृष्टी बन गई तो इसमें रहने का कुछ विधान भी होगा उसी विधान का नाम है वेद। वेद चार हैं -…
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