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काव्यलोक
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शब्दों का मायाजाल
शब्दों का मायाजाल
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शब्दों की दुनिया में
*हंसी के हंगामें.......*😄😄
हम अजब गजब शब्दों से,
दुनिया को हंसाने निकले है।
हम टूटे फूटे शब्दों से,
दुनिया के लोगों में रंग भरने निकले है।
हम नये पुराने शब्दों से,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शपथ विधी का शुभ आज आया
शपथ विधी का शुभ आज आया
दीवाली आई दीवाली आई
आज मेरे प्रदेश में खुशीया छाई है
शपथ विधी का शुभ दिन आज आया है
पाली जिले में खुशीया छाई है
पाली जिला को मिला एक नेता
सब जांगिड बंधूओं ने हां में हां मिलाई है
नेता बड़ा शांत स्वभाव का है…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं कान हूं कान
✍️लेखक की कलम से.........
मैं कान हूं कान, पर मेरी दुख दर्द भरी कहानी भी आप आज जरुर सुन लेना जी, हा जी मैं हर पल आपकी सेवा मे हाजिर तो रहता हूं मगर मेरी यातनाओं की लिस्ट भी लम्बी चौड़ी है, सो आज आपके सामने पेश कर रहा हूं जी!!
मेरी जीवन…
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अशोक शर्मा की कलम से: दीप महोत्सव-भारत महोत्सव
दीप महोत्सव-भारत महोत्सव
(अशोक शर्मा)
जगमगा हो रहादेश सारा, अवध सा पावन प्यारा ।
पूरा हो संकल्प अपना, अखण्ड भारत का जो सपना ।।
दीपोत्सव भव्य ऐसा हो, सुख समृद्धि हर द्वार हो।
धन वैभव की कमी न हो, यश संपदा सब में हो।
स्वस्थ जीवन सबका…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की परिभाषा
|| कवि की परिभाषा ||
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अंतरात्मा से निकली आवाज
लेख, कविता बन जाती है
मानो तो वह कवि है
ना मानो तो भावनाओं की बहती धारा
लेखक, कवि रीत है पुरानी
कविता समाज का दर्पण होती है
हिंदी भाषा हमारे सर की पगड़ी है
अशुभ काल के शिंश…
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कवि प्रकाश चन्द जांगिड़ “पिड़वा” पाली की कविता: आओ मिलकर दीप जलाए
आओ मिलकर दीप जलाए।
आओ मिलकर दीप जलाए,
प्रेम पूर्वक हम हाथ बढ़ाए,
गाडी कमाई भेंट चढ़ाए,
बेसहारों का लाडलड़ाये,
माँ लक्ष्मी का करे स्वागत,
गो माता की आव-भगत,
खुशहाल हो जीव-जगत,
इसमें कुछ न लागे लागत,
खुशियों की सौगात लाए,
शॉपिंग करने…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पुनर्जन्म की मन में रखता हूं आश
पुनर्जन्म की मन में रखता हूं आष
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तेरा मेरा करते बीत रही है जिंदगानी
जीवन की सच्चाई यही है
बात समझ लू तो......
इसमें ही मेरी भलाई है
रहता हूं किराये की काया में
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूँ
मेरी औकात…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: हेलो करजो कानूड़ा नै…..
हेलो करजो कानूड़ा नै.....
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काना ने मनावण नै
कोई मथुरा तो जावो रै
वृंदावन नी कुंज गल्लीयों में
आवाज तो दिरावो रै
अब आव काना बेगो बेगो आव
थारी गायों गणो गणो दुख पावे रै
शरीर पर गुमड़ गणा उभर आवे रै
गायो रो…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्रगति का मूल मंत्र
✍️ लेखक की कलम से.......
जन्म स्थान पर पढ़ाई पूरी कर लो, संस्कार अपने माता पिता व गुरुजनों से सिखो व आयु के 18 से 21 वर्ष तक की आयु सीमा तक जन्म स्थान छोड़कर आप, 400 कि.मी,800 कि.मी.,1200 कि.मी.तक बाहर बड़े शहर में की ओर आय के लिए अवश्य…
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अशोक शर्मा की कलम से: शक्ति से शक्ति का वर
शक्ति से शक्ति का वर
महिसासुर का मर्दन करने वाली
रक्तबीज का रक्त पीने वाली
शुम्भ,निशुम्भ का संहार करने वाली
विश्व विजय की शक्ति का वर दे
जगजननी- जगदम्बा शक्ति का वर दे।
दे वर भारत को अखण्ड बनाने का
विश्व गगन पर केसरिया लहराने का…
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