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काव्यलोक

कवि अशोक शर्मा की कलम से: मेहनत रो पाणी

मेहनत रो पाणी रात बीजळ कड़की ही ,हिंय में सांसा अटकी ही पाळ बांधण वाला रे ,आज हिवड़े में बात लटकी ही घणे हैत सूं घणे कोड सु, हळ ने जद मैं जोतयो हो फसल कोणी हिंय री कोर समझी,पाणी कम पसीणे सूं सींची ही रात बिजळ... रात देखी ना दिन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: श्रृंगार सुन्दर है कविता का

श्रृंगार सुन्दर है कविता का $$$$$$🌹🌹💐💐$$$$$$ ऐ मेरी प्यारी-सी कविता शब्दों से श्रृंगार करु तेरा तू साथ रहती है तो मान बढाती है मेरा संपादकों के फोन आते पहले नाम लेते तेरा तब मैं कहता हूं ओ मेरे भाई कविता लिखकर हो गई मेरी तैयार…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की अलौकिक दुनिया

कवि की अलौकिक दुनिया .................................................. माँ शारदे की उपासना करते करते कवि पहुंचा अलौकिक दुनिया में जहा माँ का मिलता है आशिर्वाद तहा खुलते है ज्ञान के किवाड़ ना भान रहा ना ज्ञान प्रकाश शून्य सा हो गया…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: छेल भंवर मारो डर गियो फागण महिना में…

छेल भंवर मारो डर गियो फागण महिना में... 🟣🟢🔵🟠🔴🔵🟡🟢🟣 छेल भंवर मारा जपने रेईजे रे... ओ महिनों फागण रो.... हा हा ओ महिनों फागण रो.. साथीड़ों रे साथ भले जाईजे रे... पर उलटी लाईन मत पकड़ जे रे.. दारु भोंग डोडा सू थू दूर रेहिजे रे..…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: रंग पंचमी ब्रज की

|| रंग पंचमी ब्रज की || .................................... मैंने देखी है ब्रज की रंग पंचमी ब्रज की रंग पंचमी है महान गोपियों संग कान्हा खेले हैं सप्त रंगों की करें है बरसात ब्रज में भाभी संग खेले हैं देवर साली संग खेले है जीजा…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: होली रो महत्व है महान 

    होली रो महत्व है महान  ....................................... ओ है होली रो त्योहार होली है रंगों रो त्योहार बृज री होली घणी है महान भाभी संग देवर सा खेले हैं होली साली संग खेले हैं बहनोई सा दोस्तों संग दोस्त खेले होली ओ रंग…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: फागण री मस्ती,गणी है सस्ती

फागण री मस्ती,गणी है सस्ती ======================= जीणी जीणी उड़े रे गुलाल गौरी थारा गांव में..... पेहलो फागण खेलण ने आयो गौरी थारा गांव में..... साथी ड़ा ने साथे लायो चार दिन वास्ते उणने मनायो पेहली होली मनावण आयो गौरी थारा गांव…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: श्री विश्वकर्मा धाम जवाली

श्री विश्वकर्मा धाम जवाली .......................................... चालो जी चालो 🏃🏾‍♂🏃🏾‍♂चालो मारा भाईड़ा रे चालो चालो विश्वकर्मा रे धाम जवाली में मंदिर बणीयो है बड़ भारी हाँल बड़ो बणीयो है बड़ भारी फीत काटेला समाज रा नेतागण…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: समाज में सुधार की अगुवाई

समाज में सुधार की अगुवाई ****************************** एक मशाल जलानी होगी समाज प्रगति के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा ताल से ताल मिलानी होगी दीपक एक प्रगति का जलाना होगा सबको साथ लेकर चलना होगा समाज में सुधार की अगुवाई करे समाज…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मन के भाव

मन के भाव ****************************** ईच्छा तो नही मुझे प्रसिध्द होने की पर आप सब मुझे जानते हो बस इतना ही मेरे लिये काफी है लोगों ने मुझे जाना अपने हिसाब से पहिचाना जीवन जीना सिखा मैंने मन रखता हू गहरा गहरा कविता हिंदी में…
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