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राम भगत शर्मा की कलम से: प्रभु भक्त के पास प्रेम, करुणा और क्षमा तथा संन्तोष रुपी अमोघ रामबाण

राम भगत शर्मा (चंडीगढ़) की कलम से  जीवन में जिस भी प्रभु भक्त के पास प्रेम, करुणा और क्षमा तथा संन्तोष रुपी अमोघ रामबाण हैं तो इनको आत्मसात करते हुए ही परमात्मा का एक अनन्य भक्त उस सर्वेश्वर को पाने के लिए लालायित हो उठता है और प्रभु भक्ति…
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दीपक आहूजा की कलम से: सकल संसार

सकल संसार मन में पिया की तस्वीर, इस तरह विराजमान है, दिखती है छवि उनकी, सुंदरता का बखान है। सकल संसार ढूँढ कर आया, नैन हो गए भारी, अपने हृदय में डूब कर, तरने की कर ली तैयारी। पीहू बोले, पपीहा बोले,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सम्मान ही प्रगति का बुस्टर डोस आगे बढना

लेखक की कलम से...... किसी भी समाज के सार्वजनिक मंच पर सम्पूर्ण समाज के मान्यवर नागरिकों की उपस्थिती में किसी को उच्च अंक/पद प्राप्ति के लिए किसी युवा/युवती को सम्मानित करना ही उस समाज के हर युवा व युवती के लिए एक "प्रगति का बुस्टर डोस" ही…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शिक्षा ही एक विकल्प है समाज प्रगति के लिए…..

शिक्षा ही एक विकल्प है समाज प्रगति के लिए..... मैं बडैरों ने केवता सुणीया था के......  भणीया पडीयोड़ा रे चार आंखीयों होवे जद मने पढ़ाई रो महत्व ध्यान मे आयो ले पाटी पेण पेमजी मारसा री स्कूलगयो डंडा पड़ीया हाथ पर अण गिणत दो आंगळीयो रे…
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दीपक आहूजा की कलम से: सच्ची तपस्या

सच्ची तपस्या सच्चा प्रेम तो, एक सच्ची तपस्या ही है, दिल में विराजमान, दिल में बसा ही है। सहारा नहीं, विश्वास का साथ चाहता है, सिर्फ़ प्रियतम से नहीं, ईश्वर से नाता है। अपना सर्वस्व त्याग कर, पराकाष्ठा पाई, तब कहीं जा के, हृदय में…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कविता माँ शारदे का प्रसाद है

कविता लेख यह माँ शारदे का दिया हुआ प्रसाद हि है...... जो माँ शारदे के चरणों में बैठकर उपासना करने के उपरान्त माँ शारदे की कृपा दृष्टि से मिलता है जो पहले घर के देवता के मंदिर में चढ़ाया जाता है व तद्पश्चात उसका वितरण किसी प्लेट फार्म पर…
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राम भगत शर्मा की कलम से: भगवान जानते हैं कि मनुष्यों को अधर्म और अत्याचार से किस प्रकार मुक्ति…

राम भगत शर्मा (चंडीगढ़) की कलम से  चंडीगढ़: परमात्मा अपने भक्तों की पुकार सुनकर अवश्य ही उसकी रक्षा करते हैं जिस प्रकार से गणिका महानन्दा की रक्षा करने के लिए महादेव ने एक वैश्य बनकर उसकी रक्षा की और उसके एकादशी के व्रत को पूरा करवाया गया…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: माँ से मिलता है ज्ञान का रसपान

माँ से मिलता है ज्ञान का रसपान माँ शारदे के चरणो में हर रोज बैठता हूं तब "ज्ञान का रसपान" हर रोज कराती है माँ शारदे मेरी..... उपासना में बैठता हूं तब हर रोज माँ दर्श दिखलाकर आशिर्वाद देती है मुझे हर रोज माँ शारदे मेरी...... लिखने…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सब कुछ बदल गया……..?

सब कुछ बदल गया........? मेरा देश नदियों का देश है पानी का यहां मोल होगा बोतल में पानी 20/- का बिकेगा मुझे नहीं पता था....  मेरा देश खेती प्रधान रहा गोबर खाद से खेती होती थी खेतों में युरिया खाद बिखेरेंगे मुझे नहीं पता था....  मेरे…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: लेखक, कवि व पत्रकार बनना नहीं हैं इतना आसान…..?

लेखक व कवि बनना नहीं हैं इतना आसान.....? यह कथन 100 % सत्य है इसका कारण यह है की हेड लाईन एक मिलती है लिखने के लिए पर उसे कविता में गाने (लिखना) के लिए लिखना बड़ा ही मुश्किल काम होता है, कौनसा शब्द कहा बिठाना यह समझ आने में बर्षो का समय लग…
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