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अशोक शर्मा की कलम से: हारा हूँ, मरा नही हूँ मैं
बादलो से घिरा हुआ हूँ,क्षितिज अम्बर में ढला नही हूँ मैं।
हारा हूं, मरा नही हूँ मैं।
1. द्वंद ओरो से नही मुझ से हैं,
उत्तेजना से संयम का लड़ना मुझ में हैं।
राहो की ठोकरों से संभलना मुझको हैं,
माना थपेड़े खाये हैं समय के, इन थपेड़ो से टूटा…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि अमर कहानी का नाम है
कवि अमर कहानी का नाम है
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कवि को कभी अलविदा ना कहते मेरे भाई
कवि अमर कहानी का नाम है
कवि अमिट साक्षी बन आया है धरातल पर
कवि अमृत प्याली भर लाया है कविता की
कवि भले पंचतत्वों का पूतला है मेरे भाई
कवि अमर शब्दों…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अषिम कृपा विश्वकर्मा भगवान की सातारा विश्वकर्मा मंदीर
अषिम कृपा विश्वकर्मा भगवान की
सातारा विश्वकर्मा मंदीर
चालोजी चालो
चालो म्हारा भईड़ा रे
चालो चालो विश्वकर्मा जी रे धाम
ओ धाम केवाऐ सातारा मंदीर
पेंडसे काँलनी गेंडामाल रा माये
अठै लोक लुगाईयो हाथ जोड़
करे विश्वकर्मा जी सू
प्रार्थना…
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मुल्क राज आकाश की कलम से: उच्च शिखर पर वहीं पहुंचते जिनके काम महान है
उच्च शिखर पर वहीं पहुंचते जिनके काम महान है
इसके पीछे मत पूछो तुम अनगिनत बलिदान हैं
कितने ही संघर्षों से विजय श्री को पाया है
इच्छाओं की कुर्बानी देकर फिर यह नाम कमाया है
ऐसे ही लोगों का होता हर दिल में सम्मान है
पहली पंक्ति के श्रेष्ठ…
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ममता शर्मा की कलम से: थू बांबी में हाथ घाल मैं मंत्र पढू
पाली/राजस्थान: समाज व्यक्ति का सबसे अच्छा मगर्दर्शक होता हैं। परिवार के बाद एक व्यक्ति समाज से सबसे ज्यादा प्रभावित होता हैं। समाज में रहने उठने बैठने का सलीका व्यक्ति समाज से बेहतर तरीके से सिखता हैं। जिससे सोसियल लाइफ स्ट्रांग होती हैं।…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: व्यापारी से बना कवि
🌺|| व्यापारी से बना कवि ||🌺
G.S.T के पहले मैं
एक सुप्रसिद्ध व्यापारी था
G.S.T ने मुझे कवि बना दिया
जब से G.S.T आया तब से
व्यापार को अर्जेंट ब्रेक लगा दिया
समय का सदुपयोग करो
सुन रखा था छोटी आयु में गुरु से
इस कारण कविता लिखना…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कविता लिखने की कला
कविता लिखने की कला
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कविता लिखने की शक्ति
माँ शारदे का दिया हुआ
अमर अमिट प्रसाद होता है
जो माँ की उपासना
करने से मिलता है
कवि को वन उप वन मे
पेड़ो को देखकर
कल कल बहती सरिता को
देखकर अजब स्मर्ण से
खोदाई कर…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सातारा मौन है
सातारा मौन है
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मैं सातारा शहर हूं
आज मैं स्तब्ध हूं, निशब्द हूं
सही सुना आपने
सही पहचाना आपने
हा सच है अब छुपछाप हूं मैं सातारा
सुनसान है सड़के मेरे शहर की
गल्ली मोहल्लें विरान है
सब्जी मंडी सुनसान है
बच्चें नही खेल रहे…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि मन भटकत भ्रान्ति का प्रतिक
✍️ एक लेखक लिख देता है कवि के मन बात.....
कवि मन भटकता रहता है
रात में तन सोता जरुर है
पर......?
कवि मन चलता रहता है
रात में आए विचारों से एक कविता बन जाती है
जो सुबह कागज के पन्नों पर उतर आती है
इसीलिए कहता रहता हूं
"कवि मन भटकत…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कुल्हाड़ी व पेड़ की कहानी है पुरानी
कुल्हाड़ी व पेड़ की कहानी है पुरानी
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एक दिन कुल्हाड़ी पेड़ से बोली
तेरा मेरा बैर तो है सदियों पुराना
आज फैसला हो जाए
तुम ताकतवर हो या मैं हूं
सभा बुलाई सारे गांव की
चौपाल पर सतरंजी बिछाई
सरपंच जी को अध्यक्ष…
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