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दलीचंद जांगिड
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं भारत का रहने वाला हूं….
मैं भारत का रहने वाला हूं....
3 चन्द्र यान के साँफ्ट लैंडिंग पर जांगिड कवि की खुशी का नहीं रहा एक ठीकाना, वह तो कहने लगा अब तो सारे भ्रमांड का भ्रमण करुंगा ओर दुनिया वालों से कहूंगा...... 🎤
मैं भारत का रहने वाला हूं,
भारत के गीत चंदा…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं चांद का निवासी हूं, भारत का रहवासी हूं….
मैं चांद का निवासी हूं ,
भारत का रहवासी हूं....
3 चन्द्र यान क्या कह रहा है.....?
ओ सुनो मेरे भारत वासी.....✅
मैं 24 अगस्त से चांद का निवासी हूं ,
भारत का रहवासी हूं.....
ईसरो श्री हरिकोटा मेरा घर है,
विशाल भारत मेरा देश है!!…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: घर ग्रस्ती में आपका स्थान कहा व कितना है…?
✍ लेखक की कलम से......"सामाजिक लेख"
संसारिक दुनिया में आपके घर में आपका स्थान (हक्क) कितना व कहा पर है, यह हकीकत समय गुजरने के बाद जरुर ध्यान में आती है पर चलते समय को भापना भी हित का होता है।
जब तक आप अकेले है वह घर में बड़े है तब तक…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि, साहित्यकार, पत्रकार और पत्रकारिता की परिभाषा
समाज को क्यूँ जरुरत है कवि, साहित्यकारों की, जानिए एक लेखक के विचार.....
कवि, साहित्यकार एक प्रबुद्ध ज्ञानी विचार धारा होती है जो समाज में चल रहे रिती रिवाजों व नियमों के अनुरूप ही अपनी लेखनी से कागज पर अंकित कर समाज के सामने पेश कर देता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
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रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है।
उलझनें अपनी बनाकर आप हीफॅसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।
जानता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: चारों वेद प्रथम दर्शनी प्रस्तावना…….
वेद सृष्टि के आदि में परमात्मा द्वारा दिया गया दिव्य अनुपम ज्ञान हैं। वेद सार्वभौमिक और सार्वकालीन है।
सृष्टी बन गई तो इसमें रहने का कुछ विधान भी होगा उसी विधान का नाम है वेद।
वेद चार हैं - ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्ववेद। चारों…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सच्चा समाज सेवक
सच्चा समाज सेवक
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🏃🏾♂....लाडपुरा का लाल....
लाडपुरा से निकला सुकून लेकर
एक शकून की तलाश में
गांव गलियारे से निकला
🏃🏾♂.... एक शहर की ओर
गांधीधाम में विस्तार पाया
अनंत लोगों से सम्पर्क जमाया
कर परिश्रम अति कठोर
माँ…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जांगिड सुथार समाज का “विश्वकर्मा महाकुंभ”
जांगिड सुथार समाज का
"विश्वकर्मा महाकुंभ"
"विश्वकर्मा महाकुंभ" की तैयारियां,
हो रही है जयपुर में जोर तौर से.....
कविता व लेख लिखना ये हंगामा खड़ा करना मकसद नही है मेरा,
समाज में प्रगति की लहर दोड़ी चली आएं !!
जांगिड सुथार समाज…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पढंरपुर वारी
पढंरपुर वारी
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पढंरी ची वारी ला नाचत नाचत
मी चाललो विठ्ठला चा द्वारी
संसारी आठवणी विसरुन सारी
अंग माझे जागृत होते
मन माझे सून झाले
भक्ति रसात मी बुड़ालो
हरि किर्तन करित करित
अन्तर ध्यानात् मी बुड़ालो
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की धनसंपदा
कवि शब्दों की दुनिया में उपासक स्वरुप होता है, करुणा, दया, क्षमा, याचना, प्रार्थना,उपासना, प्रेम ये सब बालक कवि के प्रेमी मित्र होते है वह कवि इन छोटे शिशु सखाओं के साथ अठखेलियाँ करता रहता है,बाल लिलाएं करता रहता है, इसीलिए कवि रमता योगी…
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