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दलीचंद जांगिड

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: निरोगी काया

निरोगी काया का राज क्या है, आज इस विषय पर चर्चा करने की जरूरत है आन पड़ी है। इसका कारण यह है कि लॉकडाउन के चलते हर इंसान अपने अपने घरो मे बिना काम धन्धे के खाली बैठा है, नियमित चलने वाली दिनचर्या रुक गई है या फिर बहुत सारा बदलाव उसमें जरुर…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सुसंस्कृत “सेवाधारी” बहु

लेखक की कलम से..... परिवार का पिडीजात वंश चलाने के लिए एक "आज्ञाकारी पुत्र" की जरूरत होती है ठीक वैसे ही घर परिवार को चलाने के लिए एक "सुसंस्कृत सेवाधारी बहू" चाहिए होती है, ऐसा कहते हुए समाज में अनेक बूजुर्गों के मुह से हमने आपने सुना…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जमीन से मंहगी दवा हो गई

जमीन से मंहगी दवा हो गई                   ................................................................................................... हाथ में लिये कुल्हाड़ी   धना धन पेड़ असंख्य  काट रही है दुनिया सारी          हाईवे…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गुरु वट वृक्ष है समाज का

गुरु ब्रह्मा , गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात ब्रह्म , तस्मै श्री गुरुवे नम: अत: गुरु का स्थान सर्वोपरि है समाज में......... गुरुकुल यह प्राचीन काल से चली आ रही विद्या हासिल करने का केन्द्र रहा है, जहा राजकुमार के रुप मे…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: रुपयों की खोज…?

ये कैसा जमाना आया ---------------------- वो भी एक जमाना था जब पूर्वजों को काम के बदले में अनाज लेते देखा था हमने हाथ, वेथ, चपटी चार अंगुली यही नाप का पेमाना था उनका सुख चैन के साथ पुरा परिवार था रुपया पैसा कम था पर सुख से वे सब…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पहुंच पावती अब मिली

पहुंच पावती अब मिली .................................................................................. जुग एक बीत गया         पहुंच पावती के इंतजार में  जांगिड खेत खलियान में         जांगिड कविता संग्रह नाम की एक फसल मैंने जो लगाई…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: विजेता के पाच गुण (पार्ट 2)

सातारा/मुंबई/जीजेडी न्यूज: विजय होने के लिए समाज मे "विजय भव:" तो आपने बुजर्गो को कई बार कहते हुए सुना होगा। अब विजेता के पास जो पाच गुण होना आवश्यक होते है, उन पाच गुणो को सविस्तार से समझना होगा। यह पाच गुण निम्न लिखित है। 1) जिज्ञासा=…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कारीगर हूं कविता का

कारीगर हूं कविता का ====================== पहले मैं लकड़ी का कारीगर हुआ करता था पर........... अब कारीगर हूं साहब शब्दों की वर्णमाला का कविता, लेख नए नए हर रोज लिखता हूं साहब शमा बांधता हूं हर रोज किसी को अच्छी नही लगती होगी…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अहंकार व संस्कार की परिभाषा

आज जानेंगे अहंकार व संस्कार के बारे सविस्तार, इन दोनो में क्या है अन्तर.......? अहंकार का जन्म कैसे हो जाता है, कहा से पनपता है अहंकार वह समय पाकर बड़ा हो जाता है, व उद्रेक मचाता है अहंकार........? इसके उलट दुसरा होता है…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: आप बीती सुणाऊं मारी बातड़ली

आप बीती सुणाऊं मारी बातड़ली ✍️ कवि कलम् लिख देती है एक हास्य रचना  मैं गयो शहर रा एक ब्याव में सजधज ने कपड़ा नवा पैरने सगळा खाणो खावे खड़ा खड़ा बूट चप्पल पग में पैरने मैं फस गयो ऊभा खाणा में.... सगळा टेबल ऊपर नजर दौड़ाई…
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