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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सत्य को जानो एक को पहिचानो
लेखक की कलम से.....
मैं कौन हूं
हर रोज प्रातकाल व सांयकाल में एक आधा घंटा अपने घर में एकान्त में गर्म आसन(वूलन आसान) पर आंखे बंद कर बैठकर शांत मन से अपने आप से प्रश्न यह करो की मैं कौन हूं, मुझे करना क्या है, मैं किस लिए इस पृथ्वी पर आया…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शिक्षा ही एक प्रगति का विकल्प
लेखक की कलम से.......
शिक्षा ही समाज विकास का एक महत्वपूर्ण विकल्प है जो समाज को आगे प्रगति पथ पर ले जा सकता है यह समय अब आ चुका है। जो अब समाज को स्विकार करना होगा व इस पर हर माता-पिता को ध्यान देना चाहिए कि वे अपने बच्चों को उच्च…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: श्री विश्वकर्मा मंदिर जवाली
श्री विश्वकर्मा मंदिर जवाली
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मंदिर बनेगा श्री विश्वकर्मा जी भगवान का गांव जवाली जवालेश्वर महादेव मंदिर के पास..........
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मंदीर बणीयो है बड़ भारी
दुनिया देखण आवेला सारी
मिंदर बणगीयो विश्वकर्मा जी रो
गांव जवाली रे पास…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: बुजर्गौ का आदर
श्री विश्वकर्मा मंदिर गौडवाड 84 पट्टी जवाली 75वीं वर्ष गांठ उत्सव
प्रथम प्रणाम गजानन जी ने करु
दूजा प्रणाम करु मारा विश्वकर्मा जी ने
तीजा प्रणाम करु बूजर्गो थाने
चौथा प्रणाम जांगिड समाज ने करु
पांचवा प्रणाम करु समिति वालो ने
थे याद…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कर प्रणाली कैसी हो…..?
राजा को प्रजा से कर (लगान) कैसे अल्प मात्रा में लेना चाहिए,......?
तब महा कवि तुलसीदास जी ने कही बात याद आती है......
बरसत हरषत लोग सब करषत लखै न कोइ
तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होइ
राजा को प्रजा से कुछ अंश में कर ऐसे लेना चाहिए…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ख्यालों में खो जाता हूं
ख्यालों में खो जाता हूं
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कवि हूं कवि.....
कविता गुन गुनाता रहता हूं
नि: शब्द हो जाता हूं....
ऐ सुन मेरी प्यारी कविता
जब मैं अकेला होता हूं तेरे बिना
ख्यालों में खो जाता हूं
जब मैं अकेला होता हूं
मन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: वर्तमान में जीने की आद्दत बनाओ
✍ लेखक की कलम से......
सब कुछ वर्तमान में ही संभव है
भूतकाल, वर्तमान काल व भविष्य काल ये तीनों काल में से सर्वोत्तम काल तो प्रबुध्द ज्ञानीयों ने वर्तमान काल को ही माना है, कारण भूतकाल बीत चुका है वह फिर लौटकर नहीं आता है व भविष्य को जानने…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: 50 बर्ष पेला मैं दैखीया बडैरा ने बैलगाड़ी लकड़ी री…
50 बर्ष पेला मैं दैखीया बडैरा ने
बैलगाड़ी लकड़ी री बणावता....
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एक मारवाड़ी कवि करे बैलगाड़ी रा वखाण 👌
जद करु वात बैलगाड़ी री तो ऐ छुट्टा भाग उण रा याद गणा आवै सा.... ⬇
ठाट्टो, उद, जऊड़ो, खील्ली,…
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कवि अशोक शर्मा की कलम से: नयन या नेत्रहीन
नयन या नेत्रहीन
समझ जाता हूँ स्वभावो को मैं, अभावो के संघर्षों को
स्पर्शो को भाषा को , निष्छल हँसी और विश्वासो को
सब कुछ सीखा देती हैं वो आशाओ के आँखे मुझको
हाँ तू देख मुझे और मेरे चलते डरते कदमो को
क्या विषय ,क्या विश्वास, अपने जीवन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: किताब व ग्रन्थ में क्या फर्क है……?
✍ लेखक की कलम से.....
किताबों में वह ग्रन्थों में बहुत सा फर्क होता है, किताबों में ज्ञान होता है इतिहास लिखा होता है परन्तु ग्रन्थ वह होता है जो हमारे मन व मस्तिष्क की ग्रन्थियों को खोल देता है वह ग्रन्थ कहलाता है जी, हमारे वैदिक काल को…
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