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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि को कभी अलविदा मत कहना

कवि को कभी अलविदा मत कहना .................................................... कवि तन से बुढ़ा भले ही हो जाएं कवि कविताओं से हर दिन हर पल यौवन पाता रहता है समय का रथ चलता रहता है कवि कविताओं के रस में पल पल बहता रहता है कवि का मन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस “करो योग रहो निरोग”

          आरोग्य विषय पर नेक सलाह आज अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस का नोवा वर्ष है, योग शरीर को तंदुरुस्त रखने के साथ साथ मन का भी शुध्दीकरण करता है प्रेम भावना बढाता है  *"सारा विश्व मेरा कुटुंब है मैं इस परिवार का सदस्य हूं यह भावना भी अंतर मन…
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घेवरचन्द आर्य पाली की कलम से: बाढ़ और लक्ष्मी की विरह वेदना

लेखक - घेवरचन्द आर्य पाली 18 जून 2023 को पाली में रात भर जोरदार बारिश आई, जो अब भी जारी है। बाहर वर्षा हो रही है। बादल गरज रहे हैं। प्रातः 5 बजे उठा और सीधा माँ के पास गया, माँ ने बिस्तर पर ही पेशाब कर दिया है। जिससे उनके कपडे गीले हो गये…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं

प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं ................................................................. एक समाज मुख्या के मन के भाव, कवि कलम लिख देती है.... प्रार्थना समाज प्रगति की.. समाज विकास के लिए, विश्वकर्मा जी से वरदान मांगता…
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दीपक आहूजा वालों की कलम से: नाचते मोर

नाचते मोर सावन तो नहीं है, फिर मन में मोर क्यों नाचते, मृदंग बजा-बजा कर, दिलों में सुर क्यों साधते। ऋतु तो है हेमंत की, फिर क्यों स्मृतियाँ गर्म हैं, शिशिर की प्रतीक्षा में, इस जीवन का मर्म है। तृष्णा का यह चक्र, हर मनुष्य में वास…
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दीपक आहूजा वालों की कलम से: प्यार की पराकाष्ठा

प्यार की पराकाष्ठा क्या प्यार की भी कोई, पराकाष्ठा होती है, यह तो इन नैनों की, हरदम जलती ज्योति है। क्षितिज पर दिखता है, प्रेम अनूठा अनुपम, विश्वास, सम्मान, प्यार का, यह है संगम। जैसे पृथ्वी और आकाश का, हो रहा विलयन, वैसे ही…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: आवाज बुलंद करो

आवाज बुलंद करो एक ही नारा है हमारा अब तो हमें पानी चाहिए.... हम सब एक है हम सब साथ साथ है आवाज बुलन्द करो हमे पीने का पानी चाहिए.... हमें जीने का मानवी अधिकार आम आदमी का चाहिए कलकारखानों की निर्मिती चाहिए ईन दो हाथो को काम चाहिए…
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घेवरचन्द आर्य पाली की कलम से: पितरो का अपमान वर्तमान मेकाले की शिक्षा का कमाल; वृद्धाश्रम का भारतीय…

लेखक: घेवरचन्द आर्य, पाली अनादि सनातन भारतीय धर्म शास्त्र। भारतीय धर्म शास्त्र- चार वेद, चार उपवेद, चार ब्राह्मण ग्रथ, दस उपनिषद, छ: उपाङ्गः (दर्शन), छ: वेदाङ्गः, तीन सूत्र ग्रथ, एक इतिहास ग्रथ, एक स्मृति ग्रथ, छ: आरण्यक। आदि धर्म शास्त्र…
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दीपक आहूजा वालों की कलम से: जीना काफ़ी नहीं

जीना काफ़ी नहीं जीना काफ़ी नहीं है, उड़ना भी चाहिए, अपने निज स्वभाव से, जुड़ना भी चाहिए। जो पंछी होता तो, ईश्वर के नगर ही जाता, कुछ नयी ऊँचाइयों को, यह हृदय पा जाता। जीना काफ़ी नहीं है, अंदर डूबना भी चाहिए, प्रेम की इन लहरों से, जूझना…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: संगत का फल

संगत आदमी को जीरो से हिरो बना सकती है केवल ज्ञानी, व संस्कारी लोगों के सहवास से..... ✍ लेखक की कलम से...... मन का एक विक पोईन्ट यह है की आप जो रोज रोज देखते हो, बोलते हो, सुनते हो, खाते हो, पीते हो बस यही दृष्य मन बार बार देख व सुन लेता…
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