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मथुरा: सिंधी सपूत हेमू कालाणी का बलिदान दिवस मनाया गया

देश सेवा को युवा आगे आएं : किशोर इसरानी मथुरा जीजेडी ब्यूरो:  सिंधी सपूत अमर शहीद हेमू कालाणी के 79 वें बलिदान दिवस पर सिंधी समाज ने शुक्रवार को बच्चों के साथ युवा देशभक्त की कहानियां सुनाकर हेमू कालाणी के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की धनसंपदा

महाराष्ट्र: कवि शब्दों की दुनिया में उपासक स्वरुप होता है, करुणा, दया, क्षमा, याचना, प्रार्थना,उपासना, प्रेम ये सब बालक कवि के प्रेमी मित्र होते है। वह कवि इन छोटे शिशु सखाओं के साथ अठखेलियाँ करता रहता है, बाल लिलाएं करता रहता है, इसीलिए…
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मारवाड़ी कवि प्रकाश चन्द जांगीड़ की कलम से: ओ हियाळो ठंडो घणो।

मारवाड़ी कविता  ओ हियाळो ठंडो घणो। अबकी छाती भरगी, ओ काई कोम करगी, छिकों ऊपर छिकों, थे आजकल नी दिको, धासी ऊपर धासी, कद उनो-उनो आसी, हपीड हियाळो ने होगरा, ठोके देको डोकरा, बारे जावो तो डर आवे, लोग हीदो करोना वतावे ओ…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : विरोधक शत्रु नही होते, वे गुरु ही होते है जी

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : विरोधक शत्रु नही होते, वे गुरु ही होते है जी कुछ लोग रास्ते में.. "गड्ढे" खोदने का काम करें,,, तो परेशान मत होना ये वही लोग हैं जिनकी वजह से "आप".. "छलांग" लगाना सीख जाएँगे...!! …
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मुल्क राज आकाश की कलम से : तेरे दिल की ये तंग गलियां

तेरे दिल की ये तंग गलियां तेरे दिल की तंग गलियों से कैसे निकलूं बता। हर मोड़ पर परेशानी खड़ी रहती है यारों। ना डर होता, ना फिकर अगर हों रास्ते खुले तो, तेरे रास्तों पर बेखौफ हो निकल जाती यारों। तंग दिल्ली में जीना नहीं होता आसान…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : कवि, साहित्यकार व पत्रकार, पत्रकारिता की परिभाषा

समाज को क्यूँ जरुरत है कवि, साहित्यकारों की, जानिए एक लेखक के विचार..... मुंबई : कवि, साहित्यकार एक प्रबुद्ध ज्ञानी विचार धारा होती है जो समाज में चल रहे रीति रिवाजों व नियमों के अनुरूप ही अपनी लेखनी से कागज पर अंकित कर समाज के सामने पेश…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं

प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं एक समाज मुख्या के मन के भाव, कवि कलम लिख देती है.... प्रार्थना समाज प्रगति की.. समाज विकास के लिए, विश्वकर्मा जी से वरदान मांगता हूं.... समाज विकास के लिए, गुरुजनों से आशिर्वाद मांगता…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : कविता अमर रहती है

कविता अमर रहती है लोग कहते है कविता समय बर्बाद करती है, ये क्या कम है कि कवि जाने के बाद दुनिया याद करती है !! कविता व लेख लिखना ये हंगामा खड़ा करना मकसद नही है मेरा, समाज में प्रगति की लहर दोड़ी चली आएं !! ये उद्देश्य है…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : कवि को कभी अलविदा मत कहना

कवि को कभी अलविदा मत कहना कवि तन से बुढ़ा भले ही हो जाएं कवि कविताओं से हर दिन हर पल यौवन पाता रहता है समय का रथ चलता रहता है कवि कविताओं के रस में पल पल बहता रहता है कवि का मन समय की हवाओं में पल पल बहता रहता है बुढ़ापा काल की…
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मुल्क राज आकाश की कलम से : सर्दी के मौसम में भाई बाहर निकलना संभल संभल

सर्दी सर्दी के मौसम में भाई बाहर निकलना संभल संभल ऊनी कपड़े पहन के रखना और पहनना तुम कंबल इस मौसम में सूरज बाबा, कमजोर हो जाते हैं चंदा मामा चिढ़ा चिढ़ा कर इठलाते मुस्काते हैं मौज है रहती खाने की और मिलता है दूध बादाम गाजर का…
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