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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पहुंच पावती अब मिली
पहुंच पावती अब मिली
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जुग एक बीत गया
पहुंच पावती के इंतजार में
जांगिड खेत खलियान में
जांगिड कविता संग्रह नाम की
एक फसल मैंने जो लगाई…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: विजेता के पाच गुण (पार्ट 2)
सातारा/मुंबई/जीजेडी न्यूज: विजय होने के लिए समाज मे "विजय भव:" तो आपने बुजर्गो को कई बार कहते हुए सुना होगा। अब विजेता के पास जो पाच गुण होना आवश्यक होते है, उन पाच गुणो को सविस्तार से समझना होगा। यह पाच गुण निम्न लिखित है।
1) जिज्ञासा=…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कारीगर हूं कविता का
कारीगर हूं कविता का
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पहले मैं लकड़ी का
कारीगर हुआ करता था
पर...........
अब कारीगर हूं साहब
शब्दों की वर्णमाला का
कविता, लेख नए नए
हर रोज लिखता हूं साहब
शमा बांधता हूं हर रोज
किसी को अच्छी नही लगती होगी…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अहंकार व संस्कार की परिभाषा
आज जानेंगे अहंकार व संस्कार के बारे सविस्तार, इन दोनो में क्या है अन्तर.......?
अहंकार का जन्म कैसे हो जाता है, कहा से पनपता है अहंकार वह समय पाकर बड़ा हो जाता है, व उद्रेक मचाता है अहंकार........?
इसके उलट दुसरा होता है…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: आप बीती सुणाऊं मारी बातड़ली
आप बीती सुणाऊं मारी बातड़ली
✍️ कवि कलम् लिख देती है एक हास्य रचना
मैं गयो शहर रा एक ब्याव में
सजधज ने कपड़ा नवा पैरने
सगळा खाणो खावे खड़ा खड़ा
बूट चप्पल पग में पैरने
मैं फस गयो ऊभा खाणा में....
सगळा टेबल ऊपर नजर दौड़ाई…
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ऑनरी सूबेदार मेजर गोपीचंद की कलम से: धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए एक सबक
धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए एक सबक
अरे मूर्ख यह एक धोखा है,
अँधेरे का रास्ता और अजीब लगता है।
तुम अपने को बहुत बुद्धिमान समझते हो,
ये एक दिन उठने वाली चीजें हैं।
धोखाधड़ी भी एक अपराध है,
कोई प्रधान नहीं बना।
जीवन के उतार-चढ़ाव…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्रारब्ध का शेष फल
प्रारब्ध का शेष फल
दुख भले ही लाख हों, तो क्या मुस्कुराना छोड़ दूं.....
कंठ से दबी आवाज निकल रही है जरुर, तो क्या कविता गाना छोड़ दूं......
हो सकता है ईश्वर ने भेजा प्रारब्ध का शेष फल भुगत रहा हूं, तो क्या साहित्य समाज प्रगति का लिखना…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस
कवि दलीचंद जांगिड सातारा: महिला अन्तराष्ट्रीय दिवस पर क्या क्या लिखू, कलम् मेरी मुझ से पुछ रही है.....मेरी दुनिया की प्रथम गुरु "माँ" के गुणगान लिखु, जिसने मुझे जन्म दिया, अंगूली पकड़ कर चलना सिखाया, सुसंस्कृत बनाया या "बेटी" करुणामय ह्रदय…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अंधेरे से प्रकाश की ओर
गुरु के चार प्रकार
आध्यात्मिक गुरु
गुरु ब्रह्मा , गुरु विष्णु , गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात ब्रह्म , तस्मै श्री गुरुवे नम:
यह गुरु एक प्रकार का गुरु मंत्र देते है वह शिष्य को आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करके भक्ती के तौर तरिके सिखाकर…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कविता की चादर
कविता की चादर
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मैं जिसे ओढ़ता हूं
वो कविताओं की चादर होती है
उस पर लिखी कविताएं
ह्रदय से ढूंढ लाता हूं
वो कविताएं सुनाता हूं
वो ही मेरी पहिचान होती है
वो ही मेरी पोशाख है
कविता लिखने जंगल मे जाता हूं
कभी कभी…
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