Browsing Category
दलीचंद जांगिड
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पर्यावरण दिवस
पर्यावरण दिवस
=======================
वन मे वृक्षों का वास रहने दो
झील झरनों मे मे साँस रहने दो
वृक्ष होते है जगंल के वस्त्र
छीन मत लेना, यह लिबास रहने दो
वृक्ष पर घोसला है चिड़िया का
तोड़ो मत यह निवास रहने दो
पेड़ पौधे है चिराग है…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं राजस्थान हूं……
मैं राजस्थान हूं......
पीड़ाएं मेरी पर्वत सी हो गई है
अब ये पीगलनी चाहिए
एक नहर हिमालय से सुखे प्यासे
राजस्थान के लिए निकलनी चाहिए
खेत जमीन बहुत है मेरे पास
बिन पानी उगा ना पाऊं
अनाज देश वासीयों के लिए
पेट भर मजदूरी मिली नहीं…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: विषमता खाँडमिला एक जहर ही है
लेखक की कलम से......
जाति एक समाज एक पर रुपयों पैसों से पैदा हुई विषमता यह खाँड मिला एक प्रकार का विष ही है जो समाज में भेद भाव करने पर तुला है, यह सभ्य समाज के लिए गौरव की बात नही है। अमीरी-गरीबी यह तकदीर में लिखी हस्त रेखाओं का फर्क हो…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सम्मान ही प्रगति का बुस्टर डोस आगे बढना
लेखक की कलम से......
किसी भी समाज के सार्वजनिक मंच पर सम्पूर्ण समाज के मान्यवर नागरिकों की उपस्थिती में किसी को उच्च अंक/पद प्राप्ति के लिए किसी युवा/युवती को सम्मानित करना ही उस समाज के हर युवा व युवती के लिए एक "प्रगति का बुस्टर डोस" ही…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शिक्षा ही एक विकल्प है समाज प्रगति के लिए…..
शिक्षा ही एक विकल्प है समाज प्रगति के लिए.....
मैं बडैरों ने केवता सुणीया था के......
भणीया पडीयोड़ा रे चार आंखीयों होवे
जद मने पढ़ाई रो महत्व ध्यान मे आयो
ले पाटी पेण पेमजी मारसा री स्कूलगयो
डंडा पड़ीया हाथ पर अण गिणत
दो आंगळीयो रे…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कविता माँ शारदे का प्रसाद है
कविता लेख यह माँ शारदे का दिया हुआ प्रसाद हि है......
जो माँ शारदे के चरणों में बैठकर उपासना करने के उपरान्त माँ शारदे की कृपा दृष्टि से मिलता है जो पहले घर के देवता के मंदिर में चढ़ाया जाता है व तद्पश्चात उसका वितरण किसी प्लेट फार्म पर…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: माँ से मिलता है ज्ञान का रसपान
माँ से मिलता है ज्ञान का रसपान
माँ शारदे के चरणो में हर रोज बैठता हूं तब "ज्ञान का रसपान" हर रोज कराती है माँ शारदे मेरी.....
उपासना में बैठता हूं तब हर रोज माँ दर्श दिखलाकर आशिर्वाद देती है मुझे हर रोज माँ शारदे मेरी......
लिखने…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सब कुछ बदल गया……..?
सब कुछ बदल गया........?
मेरा देश नदियों का देश है
पानी का यहां मोल होगा
बोतल में पानी 20/- का बिकेगा
मुझे नहीं पता था....
मेरा देश खेती प्रधान रहा
गोबर खाद से खेती होती थी
खेतों में युरिया खाद बिखेरेंगे
मुझे नहीं पता था....
मेरे…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: लेखक, कवि व पत्रकार बनना नहीं हैं इतना आसान…..?
लेखक व कवि बनना नहीं हैं इतना आसान.....?
यह कथन 100 % सत्य है इसका कारण यह है की हेड लाईन एक मिलती है लिखने के लिए पर उसे कविता में गाने (लिखना) के लिए लिखना बड़ा ही मुश्किल काम होता है, कौनसा शब्द कहा बिठाना यह समझ आने में बर्षो का समय लग…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सत्य को जानो एक को पहिचानो
लेखक की कलम से.....
मैं कौन हूं
हर रोज प्रातकाल व सांयकाल में एक आधा घंटा अपने घर में एकान्त में गर्म आसन(वूलन आसान) पर आंखे बंद कर बैठकर शांत मन से अपने आप से प्रश्न यह करो की मैं कौन हूं, मुझे करना क्या है, मैं किस लिए इस पृथ्वी पर आया…
Read More...
Read More...