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दलीचंद जांगिड
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ह्रदय स्पर्श गीत
ह्रदय स्पर्श गीत.......
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क्षण भंगूर काया, तू कहा से लाया।
तुरुवन समझाया, पर समज ना पाया।।
ये सास नी घोड़ी, चलती रुक थोड़ी ।
चल चल रुक जावे, क्या खोया पाया।।
क्या लेके आयो जग में,
क्या लेके जाएगा।
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ज्ञान चक्षु खुले तो बेड़ा पार……
ज्ञान चक्षु खुले तो बेड़ा पार......
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कवि के मन के तल से उठने वाले भाव व साधना प्रसाद के रुप में लिख दी बात लाख मोल की.....
किसी भी जप तप माला आसन ध्यान के लंबे आचरण के उपरान्त साधना में लीन ध्नास्थ अवस्था के…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं निकला था एक शहर की ओर…..
मैं निकला था एक शहर की ओर.....
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मैं पाली का रहने वाला हूं....
पाली के (खौड) गीत गाता हूं......
1200 K. M. दूर वीराने में
पाली तेरी याद आती है.....
कितनी नदीया,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: स्वदेशी की पुकार
स्वदेशी की पुकार
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ओ परदेशी ओ परदेशी......
हमे भूल ना जाना
कभी तुम भी स्वदेशी थे
दूर देश जाकर हो गये परदेशी
कभी हम साथ साथ
गांव में खेला करते थे
सुबह लड़ाई करते
शाम तक दोस्ती कर लेते थे
याद करो वो दिन भाई…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कलयुग में मौन हो गई रिश्तेदारी
✍ लेखक की कलम से......
पुराने जमाने में लोग अपने रिश्तेदारों के वहा सामाजिक कार्यों में जाकर दो दिन रहकर काम में हाथ बटाते नझर आते थे वह रिश्तेदारों का घर अपना ही घर समझकर प्रेम भावना से हर मौके पर सहयोग (मद्दद) करने की अषिम भावना से मिल…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: उठ उठ रे 3 चन्द्र यान प्यारे….
उठ उठ रे 3 चन्द्र यान प्यारे....
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उठ उठ रे बाळ गोपाळ"चन्द्रयान"प्यारे,
भाष्कर तूझे जगाने आया है !!
भोर भई लालिमा निकल आई है,
पंछीयों ने भरी उड़ान,गीत मधुर सुनाए,
दुध से भरी है कटोरी,
दुध में पड़ीया…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गणेश चतुर्थी उत्सव
गणेश चतुर्थी उत्सव
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आले रे आले गणपती बापा आले
दहा दिवस भक्तिमय सुखा चे झाले
गणपती बापा आमचा घरी आले
जय हो गणपती बापा मोरया मोरया
करु मन लावून सगळे तुझी सेवा
मिळे अम्हाला मन चाही प्रसाद मेवा…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: हिन्दी दिवस
हिन्दी में लिखी गई कविताओं का अपना अलग से एक स्थान होता है।
उर्दू मे गीत गझल नगमे शेर शायरी यह उनकी जगह पर है दोनो के श्रौता गण भी अलग से है।
*पर हिन्दी की क्या बात करु, जब भी हिन्दी में कविता लिखता हूं तब जो मां के गोद मे नन्हा सा बालक…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जिद्द ओर परिश्रम
✍ लेखक की कलम से....
जिद्द ताकतवर हो ओर भरपुर साथ मिले परिश्रम का तो कोई काम मुश्किल नही होता है.....
पहली बार में सफलता नही मिले तो भी चिन्ता मत किजीये।
प्रत्येक प्रयत्नेन सम्भवत :
सफलता न प्रान्पोति।
किन्तु प्रत्येक सफलताया :…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: समाज जाजम की महिमा
✍ लेखक की कलम से......
समाज की जाजम महान् होती है..
सारा समाज जहा एक साथ आम सभा का आयोजन करता है, वह समाज के सभी आदरणीय बैठते है, वह अनेक समाज हित के निर्णय लिए जाते है, वहा पर जो आसन की व्यवस्था की जाती है वह समाज की जाजम कहलाती है।…
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