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दलीचंद जांगिड

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: हम है आखिरी पिढ्ढी

हम है आखिरी पिढ्ढी ============================ हम है आखिरी पिढ्ढी कोई हम से पुछे पूर्वज कैसे थे❓ तो......... तो......... यह बचा के रख लेना रे घर मे पूर्वजो की कमाई की निशानी रे एक बसूला, कुल्हाड़ी, बिजना तेल काजली से उठने वाली…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: फिजूल शक मत करना

फिजूल शक मत करना ====================== दीये का काम है जलना हवा ने बै वजह शंका पाल रखी है दीये का काम है अंधेरे को हटाना हवा ने बै वजह दीये से दुश्मनी पाल रखी है दीये की लड़ाई अंधेरे के साथ है हवा ने बै वजह उसे बुझाने की मन मे ठान…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जिज्ञासा से औत प्रौत है जिंदगी

जिज्ञासा से औत प्रौत है जिंदगी ====================== जिंदगी को मैंने खेल समझा था खुद को माना था खिलाड़ी जब जिंदगी की राह पर चलने लगा अनुभव अजब आने लगे संसार सागर है कभी यह सुन रखा था सागर में उतरकर देखा तो पानी पर चलना था नही…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: एक कवि की दास्तान

एक कवि की दास्तान ===================== यूं ही मैं नहीं कवि बन जाता हूं..... आंतरिक मन मे कल्पना जब उठती है ! समंदर की गहराई में डूब जाता हूं !! तब मैं कवी बन जाता हूं !! सौ शब्दों को जब एक धागे से पिरोता हूं ! तब एक आदर्श कविता…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मात-पिता को वंदन

मात-पिता को वंदन ======================= मुझे इस दुनिया में लाया मुझे बोलना चलना सिखाया ओ मात-पिता तुम्हें वंदन मैंने किस्मत से तुम्हें पाया मुझे इस दुनिया में लाया मुझे बोलना चलना सिखाया ओ मात-पिता तुम्हें वंदन मैंने किस्मत से…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: स्वार्थ का जन्म कब होता है…..?

✍️ लेखक की कलम से...... जब बच्चा तीन चार बर्ष का होता है वह थोड़ी समझ आती है वह परिवार के लोगों के द्वारा जेब वाले शर्ट पहनाए जाते है उसी समय मोह का जन्म होता है व कुछ महिने बीत जाने के बाद जेब में संग्रह करने की आदत के कारण ही स्वार्थ का…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मुझे आपकी आज्ञा मिले तो, बहुत कुछ लिखना चाहता हूं

मुझे आपकी आज्ञा मिले तो, बहुत कुछ लिखना चाहता हूं.... ======================= 🏃🏾‍♂️मैं हर रोज आपके वाँटस अप गुरुप में आपके समक्ष आना चाहता हूं.... आपकी पसंद की कुछ प्यारी प्यारी बातें लिखना चाहता हूं.... समाज हित के चार ज्ञान वर्धक…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मै दैखीया बडेरा ने

मै दैखीया बडेरा ने ==================== ओ मारा समाज रा लोगो जरा याद करो जूना जमाने ने जब बडैरा मंदिर पर आवता बीच मैदान री घास निकाल कर करता तैयारी दाल बाटी चूरमा री महाप्रसाद री तैयारी करता सगळा मिल बैठ भजन खुद ही गावता नहीं…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: श्री विश्वकर्मा मंदीर जवाली

श्री विश्वकर्मा मंदीर जवाली ___________ उतर दैखीयो, दखण दैखीयो देश दैखीयो, प्रदेश दैखीयो दैखीयो सारो हिंदुस्तान ईण मंदीर जिसो मंदीर कठे जाँगिड़ सुथारो री आस्था अठे विश्वकर्मा जी रो धाम अठे आ देव भूमी है अठे देवता रोज रोज रमे है अठे…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: माँ प्रथम गुरु है मेरी

✍️ लेखक की कलम से......... संस्कार व ज्ञान सिखाने वाले इस धरातल पर प्रथम गुरु का नाम है माँ। जन्मदात्री के साथ साथ लालन पालन करते हुए ज्ञान की दायत्री भी है। नाम वाचक किसी भी शब्द को बोलने के लिए शायद पुरा मुंह नही खोलना पड़ता होगा पर…
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