फसल अवशेष जलाना पर्यावरण के लिए हानिकारक: जैव विविधता जागरूकता कार्यक्रम में किसानों ने ली जागरूकता की शपथ

श्यो प्रसाद ने किसानों को बताया कि धान के फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता है और खेत की उर्वरता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने समझाया कि फसल अवशेषों को जलाने की बजाय कृषि यंत्रों की मदद से उनका प्रबंधन किया जाना चाहिए।

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सोनीपत, (अजीत कुमार): सोनीपत जिले के गांव बागरु में हरियाणा राज्य जैव विविधता बोर्ड, पंचकूला के जिला समन्वयक श्यो प्रसाद द्वारा किसानों के लिए जैव विविधता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और फसल अवशेष न जलाने का संकल्प लिया।

श्यो प्रसाद ने किसानों को बताया कि धान के फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता है और खेत की उर्वरता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने समझाया कि फसल अवशेषों को जलाने की बजाय कृषि यंत्रों की मदद से उनका प्रबंधन किया जाना चाहिए। इससे न केवल खेत में पोषक तत्वों की बचत होती है, बल्कि आगामी फसल की पैदावार में भी वृद्धि होती है।

प्रसाद ने यह भी जानकारी दी कि फसल अवशेष जलाने से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, और सल्फर जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसके अलावा, खेतों में जले अवशेषों के कारण फसल मित्र जीव-जंतुओं का भी नुकसान होता है, जो कृषि के लिए लाभकारी होते हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित किसानों ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जैव विविधता को संरक्षित रखने का संकल्प लिया। इस अवसर पर हरिओम, प्रताप सिंह, निर्मला, सुमित्रा, रिचा सहित अन्य ग्रामीण भी उपस्थित रहे।

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