सोनीपत में भाजपा का बड़ा दांव: कांग्रेस को झटका, कांग्रेस मेयर भाजपा में शामिल होंगे
निखिल मदान का भाजपा में शामिल होना भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिससे वे कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। निखिल मदान पंजाबी नेता हैं, और इस कदम से भाजपा पंजाबी वोटरों को साधने का प्रयास करेगी।
सोनीपत, (अजीत कुमार): हरियाणा की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए, भाजपा ने मोहन लाल बडौली को प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंपने के साथ ही सोनीपत में बड़ा खेल खेला है। गुरुवार को सोनीपत के पहले मेयर निखिल मदान दिल्ली में भाजपा की सदस्यता लेंगे। सोनीपत, जिसे कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है, अब भाजपा के निशाने पर है।
वर्ष 2020 में हुए सोनीपत नगर निगम के पहले चुनाव में निखिल मदान ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भाजपा के ललित बत्रा को 13,817 वोट से हराकर सोनीपत के पहले मेयर बने थे। अब राजनीति गलियारों में चर्चा है कि निखिल मदान अपने समर्थकों के साथ गुरुवार को दिल्ली के हरियाणा भवन में भाजपा के कई बड़े नेताओं की उपस्थिति में पार्टी में शामिल होंगे। वे भारी दल-बल के साथ दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने अभी इस संबंध में औपचारिक घोषणा नहीं की है।
सोनीपत हमेशा से कांग्रेस और विशेषकर भूपेंद्र हुड्डा का मजबूत गढ़ रहा है। यहां कांग्रेस का ही विधायक है और स्थानीय राजनीति में कांग्रेस का दबदबा रहा है। लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सोनीपत विधान सभा क्षेत्र से भारी मतों से हार मिली थी। आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने यह बड़ा दांव खेला है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री नायब सैनी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली के इस कदम से कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
निखिल मदान का भाजपा में शामिल होना भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिससे वे कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। निखिल मदान पंजाबी नेता हैं, और इस कदम से भाजपा पंजाबी वोटरों को साधने का प्रयास करेगी।
भूपेंद्र हुड्डा के लिए यह खबर निश्चित रूप से चिंता का विषय है, क्योंकि इससे उनकी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही, सोनीपत के राई हलके के विधायक मोहन लाल बड़ौली को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाना भी भाजपा की इस क्षेत्र में पकड़ मजबूत करने की कोशिश है। इस कदम से सोनीपत की राजनीतिक स्थिति में बदलाव आने की संभावना है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस चुनौती का सामना कैसे करती है।
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