हरियाणा की राजनीति में बड़ा बदलाव: हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने उदयभान के सामने चुनौतियां, उभार पाएंगे

उदयभान होडल से चार बार विधायक रहे, इनके पिता गयाराम भी विधायक रहे थे इनको राजनीति का अच्छा अनुभव है। इन्हीं को बुधवार को हरियाणा कांग्रेस कमेटी (एचपीसीसी) का अध्यक्ष बनाया गया। इनके साथ में चार कार्यकारी अध्यक्ष श्रुति चौधरी, राम किशन गुर्जर, जितेंद्र कुमार भारद्वाज और सुरेश गुप्ता बनाए गए हैं।

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सोनीपत/नरेंद्र शर्मा परवाना: हरियाणा प्रदेश की राजनीति में नया परिवर्तन हुआ है आखिरकार कांग्रेस आलाकमान ने कुमारी शैलजा का त्यागपत्र स्वीकार करके नया प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को बना दिया है। अब देखना यह है कि इस बार बने नए अध्यक्ष हरियाणा की राजनीति में क्या नया कर पाएंगे और हाशिये पर जा चुकी कांग्रेस को कैसे संभाल पाएंगे यह चुनौती इनके सामने रहेगी। हम एक एक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और बताएंगे कि वास्तव में कांग्रेस की तस्वीर कैसी है और स्वरुप कैसे सामने आएगा।

सबसे पहले तो यह जानें कि उदयभान कौन हैं
उदयभान होडल से चार बार विधायक रहे, इनके पिता गयाराम भी विधायक रहे थे इनको राजनीति का अच्छा अनुभव है। इन्हीं को बुधवार को हरियाणा कांग्रेस कमेटी (एचपीसीसी) का अध्यक्ष बनाया गया। इनके साथ में चार कार्यकारी अध्यक्ष श्रुति चौधरी, राम किशन गुर्जर, जितेंद्र कुमार भारद्वाज और सुरेश गुप्ता बनाए गए हैं।

कांग्रेस के फ्लैश बैक पर एक नजर
हरियाणा प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस का एक नया कदम प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को कमान सौंपना है। आगे बढने से पहले हम कांग्रेस के फ्लैश बैक पर नजर डाल लेते हैं। कांग्रेस की राजनीति इतनी कमजोर क्यों होती चली गई। लगातार दो बार विधान सभा चुनाव में क्यों हार देखनी पड़ी, लोकसभ चुनाव में क्यों बेहतर परिणाम नहीं दे पाई।

जब संगठन से ऊपर व्यक्ति विशेष हो जाए
राजनीति में जब कोई व्यक्ति संगठन से बड़ा होने लगता है तो समझ लीजिये कि उस पार्टी का बड़ा नुकसान तय है या फिर यह कह लीजिये अंत निश्चित हो गया है। ऐसा ही हरियाणा प्रदेश की राजनीति में देखने को मिलता है। जो व्यक्ति खुद के स्वार्थ को पूरा करने के लिए पूरे संगठन को दांव पर लगा दे, उस संगठन पर बैठा आलाकमान आंख बंद कर देखता रहे तो मान कर चलिए कि उसका भला खुद भगवान भी नहीं कर सकता।

इसको जानने के लिए इतिहास के पन्नों को पलटिये
तो आइऐ हरियाणा प्रदेश में कांग्रेस की जमीनी हकीकत को समझ लेते हैं। हरियाणा में कांग्रेस ने गत नौ साल से अपने संगठन को तैयार करने में असफलता मिलने का कारण कुछ नेताओं का अपना अहम रहा, यह अहम का टकराव संगठन पर भारी पड़ा और कांग्रेस को संगठन कमजोर होते देखने के रुप में बड़ा खामियाजा भरना पड़ा है। अपने अस्तित्व को बचाने के लिए पार्टी के अस्तित्व को ही एक सुनियोजित तरीके से खत्म करने का काम किया गया। इससे व्यक्ति विशेष को मजबूत हुए लेकिन संगठन कमजोर पड़ गया पार्टी को एक बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

गरत की परत से बाहर कैसे आएगी कांग्रेस
कांग्रेस गरत की परत में जा चुकी है। यह बाहर कैसे निकलेगी यह देखना बहुत ही दिलचस्प रहेगा। क्योंकि हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष से डा. अशेाक तंवर ने त्याग पत्र दिया था और पार्टी भी छोड़ दी थी। इसका कारण था पार्टी को संगठन के तौर पर मजबूती दे नहीं पाए थे। आलाकमान उनको वो शक्तियां नहीं दे पाया जिससे संगठन मजबूत होता। इनके सामने प्रदेश के कुछ ऐसे राजनेता रहे जो संगठन बनने नहीं देना चाहते थे, वे कामयाब हुए जिस कारण संगठन बना ही नहीं, इसका परिणाम संगठन कमजोर हुआ और इसका खामियाजा सत्ता को खो कर भुगतना पड़ा। लगातार दो बार सत्ता से दूर रहने से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का पार्टी से मोह भंग होने लगा है।

कांग्रेस के घटक कमजोरी का कारण
हरियाणा में कांग्रेस के अलग-अलग नेता अपने अपने घटक बनाए हुए हैं। सभी सीएम के दावेदार हैं एक दूसरे को हराने के लिए काम करने में रुचि लेते हैं इसीलिए दिग्गज हार जाते हैं। यह अभी भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है सही मायने में कांग्रेस के अलग-अलग घटकों को देखें यहां पर पार्टी के प्रति कार्यकर्ता कम व्यक्ति विशेष के प्रति ज्यादा समर्पित नजर आते हैं। यह संगठन के लिए एक खतरे की घंटी है। इसी कारण तो यहां डा. अशोक तंवर प्रदेश के अध्यक्ष रहते हुए संगठन खड़ा नहीं कर पाए। आलाकमान कमान के ढीलढाल रवैये के चलते उन्होंने पार्टी को अलविदा कहा इससे एक बड़ा नुकसान पार्टी को हुआ। अब वे दूसरी पार्टी में गए वह कांग्रेस के ही कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ रहे हैं।

पुराने होने के मुगालते से बाहर निकलिये
यदि कोई यह कहने लगे यह तो 130 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी है समुंद्र से एक बूंद पानी चला जाए तो कुछ फर्क नहीं पड़ता, यह धारणा ही इस संगठन को खत्म करने के लिए काफी है। विचार करिये एक चादर से एक धागा निकलता है, एक-एक करके सारे धागे निकलते चले जाते हैं, आखिर में वह चादर एक धागे में तब्दील हो जाती है। अब आलाकमान की करीबी कुमारी शैलजा एक अनुभवी कांग्रेसी नेता लेकिन यहां पर भी उनका अनुभव संगठन बनाने में कामयाब नहीं हो पाई। यह कांग्रेस के लिए बहुत ही नकारात्मक प्रभाव देने वाली खतरे की घंटी है। हरियाणा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बने उदयभान के ऊपर सबकी निगाहें हैं हमारी भी शुभकामनाएं हैं। उदयभान कामयाब हों, अपने पार्टी के द्वारा दी गई संगठन की जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से संभाल पाएं। बधाई बहुत-बहुत बधाई उदयभान को।

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11 Comments
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