प्रयागराज महाकुंभ 2025: अमृत स्नान और सिद्धपीठ सतकुंभा धाम का आध्यात्मिक महत्व

सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम के पीठाधीश्वर श्री महंत राजेश स्वरूप जी महाराज ने अपने दिव्य संदेश में इस महाकुंभ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "144 वर्षों बाद यह अद्वितीय योग बन रहा है।

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प्रयागराज महाकुंभ 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का सबसे महान पर्व है, जो 14 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित किया जा रहा है। इस महाकुंभ का विशेष आकर्षण अमृत स्नान है, जो 29 जनवरी 2025 को होने वाला है। इस दिन सात ग्रहों का दुर्लभ संयोग एक अलौकिक ऊर्जा का संचार करेगा, जिससे यह स्नान न केवल शारीरिक बल्कि आत्मिक शुद्धि का माध्यम बनेगा।

सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम के पीठाधीश्वर श्री महंत राजेश स्वरूप जी महाराज ने अपने दिव्य संदेश में इस महाकुंभ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “144 वर्षों बाद यह अद्वितीय योग बन रहा है। जो श्रद्धालु प्रयागराज नहीं जा सकते, वे सप्तर्षियों की तपस्थली सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम में स्नान कर इस दिव्य अवसर का लाभ उठा सकते हैं। यहां स्नान करने से भी वही पुण्य प्राप्त होगा जो कुंभ में स्नान करने से होता है।”

सतकुंभा धाम: एक अद्वितीय तीर्थ
हरियाणा के सोनीपत जिले में स्थित सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम भारत के 68 प्रमुख तीर्थों में से एक है। यह पवित्र स्थल सप्तर्षियों की तपोभूमि है, जहां उन्होंने अपने योगबल से कुंभ के आध्यात्मिक प्रभाव को स्थापित किया। इस धाम का नाम सतकुंभा इस तथ्य को प्रमाणित करता है कि यहां कुंभ का प्रभाव प्राचीन काल से विद्यमान है।

श्री महंत राजेश स्वरूप जी महाराज ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे इस महाकुंभ के दौरान सतकुंभा धाम में स्नान और पूजा-अर्चना करें। उन्होंने कहा, “यह स्नान मात्र एक परंपरा नहीं है, बल्कि आत्मिक उन्नति और जीवन के पापों से मुक्ति का मार्ग है।”

अमृत स्नान की तैयारियां
सिद्धपीठ सतकुंभा धाम प्रबंधन समिति ने श्रद्धालुओं के लिए समस्त सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। स्नान के बाद यहां पितरों और देवताओं के निमित्त पूजा-अर्चना का विशेष आयोजन होगा। यह तीर्थ न केवल भारत में बल्कि विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र बन गया है।

सनातन धर्म का संदेश
महाकुंभ का अमृत स्नान एक ऐसा अवसर है, जो सनातन धर्म के मूल तत्वों – श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक चेतना – को सशक्त करता है। श्री महंत राजेश स्वरूप जी महाराज का यह संदेश समस्त विश्व को प्रेरित करता है कि “जीवन में ऐसे पवित्र अवसरों पर स्नान, ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का प्रयास करें।”

श्रद्धालुओं को सतकुंभा धाम के इस पुण्य अवसर पर आमंत्रित किया जाता है कि वे इस अमृत स्नान में भाग लेकर जीवन को दिव्यता और आनंद से भरें।

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