सोनीपत: चल पड़े जिस ओर हम, लोग उसी को रस्ता कहने लग गए
गांव दातौली, तहसील गन्नौर, जिला सोनीपत (हरियाणा) के निवासी स्वर्गीय प्रेमचंद शर्मा ने अपने जीवन में शिक्षा के जरिए सैकड़ों जिंदगानियां रोशन कीं। वह जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त पढ़ाने के साथ-साथ उनकी दसवीं कक्षा तक की फीस भी देते थे।
सोनीपत, अजीत कुमार: चल पड़े जिस ओर हम, लोग उसी को रस्ता कहने लग गए यह पंक्ति शिक्षाविद स्वर्गीय प्रेमचंद शर्मा पर सटीक बैठती है, जिन्होंने 79 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। गांव दातौली, तहसील गन्नौर, जिला सोनीपत (हरियाणा) के निवासी स्वर्गीय प्रेमचंद शर्मा ने अपने जीवन में शिक्षा के जरिए सैकड़ों जिंदगानियां रोशन कीं। वह जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त पढ़ाने के साथ-साथ उनकी दसवीं कक्षा तक की फीस भी देते थे।
गांव के विजय कुमार बताते हैं कि मास्टर जी स्कूल से लौटने के बाद शाम को अपने घर पर नि:शुल्क साक्षरता अभियान चलाते थे। उन्होंने अज्ञानता के अंधकार में ज्ञान का दीप जलाया, जिससे कई जीवन प्रकाशमान हुए। सुल्तान गोस्वामी कहते हैं कि पंडित जी, जिन्हें लोग मास्टर जी के नाम से जानते थे, उन्होंने 400 से अधिक बच्चों की दसवीं तक की शिक्षा का खर्च उठाया। मनिराम नंबरदार के अनुसार, मास्टर जी ने अपने जीवन का हर दिन और कई बार देर रात तक बच्चों को शिक्षित करने में बिताया।
उनके निधन के बाद भी उनके कार्य और स्थापित मूल्य एक मिसाल हैं। उन्होंने शिक्षा के जरिए नई पीढ़ी को दिशा दी। उनके पुत्र एडवोकेट प्रदीप पाराशर भी उनके दिखाए मार्ग पर चल रहे हैं और मानव सेवा में सक्रिय हैं। स्वर्गीय प्रेमचंद शर्मा को शत-शत नमन, जिन्होंने अपने जीवन को दूसरों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया। उनकी स्मृति हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।
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