नो-डिटेंशन पॉलिसी खत्म: 5वीं और 8वीं में फेल छात्रों को अब नहीं मिलेगा प्रमोशन
शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार के अनुसार, यह बदलाव छात्रों की शैक्षणिक क्षमता को सुधारने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, "नए नियमों से शिक्षकों और अभिभावकों की भागीदारी बढ़ेगी, और फेल छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।"
नई दिल्ली, अजीत कुमार: केंद्र सरकार ने सोमवार को ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने का फैसला लिया। इसके तहत 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को अब अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि, उन्हें दो महीने के भीतर री-एग्जाम देने का मौका मिलेगा। री-एग्जाम में भी फेल होने पर छात्र को उसी कक्षा में दोबारा पढ़ाई करनी होगी।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि 8वीं तक के फेल छात्रों को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा। यह निर्णय शिक्षा के स्तर में सुधार और छात्रों की सीखने की क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।
फैसले का प्रभाव
यह नीति केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, सैनिक स्कूलों और अन्य 3,000 से अधिक स्कूलों पर लागू होगी।
16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली और पुडुचेरी) में पहले ही नो-डिटेंशन पॉलिसी खत्म की जा चुकी है।
शिक्षा मंत्रालय का तर्क
शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार के अनुसार, यह बदलाव छात्रों की शैक्षणिक क्षमता को सुधारने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, “नए नियमों से शिक्षकों और अभिभावकों की भागीदारी बढ़ेगी, और फेल छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।”
नो-डिटेंशन पॉलिसी खत्म करने का कारण
2010-11 में लागू नो-डिटेंशन पॉलिसी के तहत 8वीं तक के छात्रों को फेल होने के बावजूद अगली कक्षा में प्रमोट किया जाता था। इसके परिणामस्वरूप, छात्रों की शिक्षा के स्तर में गिरावट देखी गई, जिससे 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में खराब प्रदर्शन होने लगा।
काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया, जिससे फेल होने वाले छात्रों को परीक्षा दोहराने का मौका मिलेगा और शिक्षा का स्तर बेहतर होगा।
क्या है नो-डिटेंशन पॉलिसी?
नो-डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) का हिस्सा थी। इसके तहत कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को फेल नहीं किया जा सकता था।
ऐसे बना कानून
2018: लोकसभा में नो-डिटेंशन पॉलिसी को हटाने का बिल पास हुआ।
2019: राज्यसभा में यह बिल पारित किया गया। इसके बाद राज्य सरकारों को अधिकार दिया गया कि वे इस नीति को लागू रखें या खत्म करें।
सरकार के इस फैसले के बाद शिक्षा जगत में बदलाव की उम्मीद की जा रही है, जहां छात्रों की शैक्षणिक क्षमता और सीखने के प्रति गंभीरता पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
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