77वां वार्षिक संत समागम: निरंकारी सामूहिक शादियां 96 परिणय सूत्र में बंधे, अनुपम दृश्य

सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आरम्भ पारम्परिक जयमाला एवं निरंकारी शादी के विशेष चिन्ह सांझा-हार द्वारा हुआ। उसके उपरांत भक्तिमय संगीत के साथ मुख्य आकर्षण के रूप में निरंकारी लावों का हिंदी भाषा में प्रथम बार गायन हुआ जिसकी प्रत्येक पंक्ति में नव विवाहित युगलों के सुखमयी गृहस्थ जीवन हेतु अनेक कल्याणकारी शिक्षाएं प्रदत्त थी।

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गन्नौर, अजीत कुमार: संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा- गन्नौर हल्दाना बोर्डर स्थित मैदान में गुरुवार को निरंकारी सामूहिक सादा शादियां एवं आध्यात्म का अनुपम दृश्य प्रदर्शित हुआ। परम श्रद्धेय सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं परम आदरणीय दिव्य स्वरुप निरंकारी राजपिता जी की पावन उपस्थिति में देश विदेश के 96 युगल प्रणय सूत्र में बंधे।
संत निरंकारी मंडल के सचिव जोगिन्दर सुखीजा ने बताया कि भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रद्रेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त दूर देशों जिनमें आस्ट्रेलिया, यूएसए. इत्यादि प्रमुख हैं। सतगुरु की असीम कृपा के पात्र बनकर मंगलमयी जीवन की कामना हेतु पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर संत निरंकारी मिशन के अधिकारीगण, वर-वधू के माता-पिता, सगे-सम्बन्धी एवं मिशन के अनेक श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति रहीं। सभी ने इस दिव्य नजारे का भरपूर आनंद प्राप्त किया।

77th annual Sant Samagam: Nirankari mass weddings, 96 tied the knot, unique scene
77वां वार्षिक संत समागम: निरंकारी सामूहिक शादियां 96 परिणय सूत्र में बंधे, अनुपम दृश्य।

सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आरम्भ पारम्परिक जयमाला एवं निरंकारी शादी के विशेष चिन्ह सांझा-हार द्वारा हुआ। उसके उपरांत भक्तिमय संगीत के साथ मुख्य आकर्षण के रूप में निरंकारी लावों का हिंदी भाषा में प्रथम बार गायन हुआ जिसकी प्रत्येक पंक्ति में नव विवाहित युगलों के सुखमयी गृहस्थ जीवन हेतु अनेक कल्याणकारी शिक्षाएं प्रदत्त थी। नव विवाहित युगलों पर सत्गुरु माता जी, निरंकारी राजपिता जी एवं वहां उपस्थित सभी जनों द्वारा पुष्प-वर्षा की गई और उनके कल्याणमयी जीवन हेतु भरपूर आशीर्वाद प्रदान किया गया।
प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह पावन आयोजन अपनी सादगी बिखेरता हुआ जाति, धर्म, वर्ण, भाषा जैसी संकीर्ण विभिन्नताओं से ऊपर उठकर एकत्व का सुदंर स्वरूप प्रदर्शित करता है।

नव विवाहित जोड़ों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने फरमाया कि गृहस्थ जीवन के पवित्र बंधन में नर और नारी दोनों का ही समान स्थान होता है जिसमें कोई बड़ा अथवा छोटा नहीं अपितु दोनों की महत्ता बराबर की होती है। यह एक अच्छी सांझेदारी का उदाहरण है।

सतगुरु माता जी ने सांझे हार के प्रतीक का उदाहरण दिया कि जिस प्रकार सांझा हार एकता के भाव को दर्शाता है ठीक उसी प्रकार गृहस्थ जीवन में रहकर सभी रिश्तों को महत्व देते हुए, सबके प्रति आदर भाव अपनाकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाना है। गृहस्थ जीवन के सभी कार्यो को करते हुए नित्य सेवा, सुमिरण एवं सत्संग के साथ इस निरंकार का आसरा लेकर सुखद जीवन जीना है। निःसंदेह हर प्रांत से आये हुए नव युगलों द्वारा दो परिवारों के मिलन का एक सुदंर स्वरूप आज यहां प्रदर्शित हुआ। अंत में सतगुरु माता जी ने सभी नव विवाहित जोड़ों के जीवन हेतु शुभ कामना करते हुए उन्हें आनंदमयी जीवन का आशीर्वाद दिया।

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