77वां वार्षिक संत समागम: असीम की ओर विस्तार का संदेश प्रसारित करते 77वें निरंकारी संत समागम का सफल समापन

सोमवार की रात्रि को तीन दिवसीय निरंकारी संत समागम का भक्तिभावपूर्ण वातावरण में सफल समापन हुआ। सतगुरु माता जी ने इस दौरान अज्ञानता से उत्पन्न भेदभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में जाति, जीवनशैली, और निवास स्थान जैसे मुद्दों को लेकर भेदभाव होता है।

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  • असीम से जुड़कर जीवन के हर पहलू का विस्तार करें: निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
  • बहुभाषी कवि दरबार: अद्वितीय रचनाओं का संगम
  • लंगर: सारा संसार- एक परिवार की सजीव प्रस्तुति

गन्नौर, अजीत कुमार: निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के अंतिम दिन मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित करते हुए कहा, परमात्मा असीम है और इससे जुड़ने वाला हर पहलू असीम होता चला जाता है। ब्रह्मज्ञान द्वारा परमात्मा को जानने के बाद जब इससे जुड़ते हैं, तो जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक विस्तार होता है।

सोमवार की रात्रि को तीन दिवसीय निरंकारी संत समागम का भक्तिभावपूर्ण वातावरण में सफल समापन हुआ। सतगुरु माता जी ने इस दौरान अज्ञानता से उत्पन्न भेदभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में जाति, जीवनशैली, और निवास स्थान जैसे मुद्दों को लेकर भेदभाव होता है। जबकि ब्रह्मज्ञानी संत समदृष्टि के भाव से इन संकीर्णताओं से ऊपर उठकर जीवन जीते हैं।

77th Annual Sant Samagam: Successful completion of the 77th Nirankari Sant Samagam, spreading the message of expansion towards the limitless.
77वां वार्षिक संत समागम: असीम की ओर विस्तार का संदेश प्रसारित करते 77वें निरंकारी संत समागम का सफल समापन।

सतगुरु माता जी ने भक्ति में भोले भाव की महत्ता बताते हुए कहा कि परमात्मा भोले भाव से रिझता है। चेतन और सजग रहते हुए भक्त भ्रम और भ्रांतियों से प्रभावित नहीं होते। उन्होंने श्रद्धालुओं से समागम में ग्रहण की गई शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का आह्वान किया।

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बहुभाषी कवि दरबार: अद्वितीय रचनाओं का संगम
निरंकारी संत समागम के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण बहुभाषी कवि दरबार रहा। इसमें देश-विदेश के 19 कवियों ने विस्तार असीम की ओर विषय पर हिंदी, पंजाबी, मुल्तानी, हरियाणवी और अंग्रेजी में प्रेरणादायक ज्ञानवर्धक रचनाएं प्रस्तुत कीं। इसके अतिरिक्त, बाल कवि दरबार और महिला कवि दरबार जैसे आयोजन भी समागम की विशेषताएं रहे, जिनमें बाल कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भावनाओं को अभिव्यक्त किया।

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लंगर: सारा संसार- एक परिवार की सजीव प्रस्तुति
समागम परिसर में श्रद्धालुओं के लिए चार मैदानों में लंगर सेवा की व्यवस्था की गई, जिसमें एक साथ 20 हजार संतों ने प्रसाद ग्रहण किया। दिव्यांग और वयोवृद्धांे के लिए विशेष व्यवस्था की गई। पर्यावरण के प्रति जागरूकता रखते हुए भोजन स्टील की थालियों में परोसा गया। लंगर के माध्यम से सारा संसार एक परिवार जैसा स्वर्गीय नजारा दिखाई दिया जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक सभ्यताओं और धार्मिकता से जुड़े श्रद्धालु भक्त एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते दिखाई दिए।

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इसके पूर्व समागम समिति के समन्वयक जोगिंदर सुखीजा जी ने परम श्रद्धेय सतगुरु माता जी एवं परम आदरणीय निरंकारी राजपिता जी का समस्त साध संगत की ओर से हृदयपूर्वक आभार प्रकट किया तथा सभी सरकारी विभागों का धन्यवाद किया जिन्होंने इस पावन संत समागम आयोजन के लिए अपना महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया। श्रद्धालु भक्त इस पावन अवसर की दिव्यता और शिक्षाओं को अपने हृदयों में संजोकर अपने-अपने गंतव्यों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।

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