सोनीपत: गुप्तिधाम में 7 राज्यों के श्रावक श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान में शामिल
इस अवसर उपाध्याय 108 गुप्ति सागर महाराज ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के बारे जानकारी देते हुए बताया कि हर एक श्रद्धालु को सिद्धचक्र महामंडल विधान करना चाहिए, क्योंकि अंतिम लक्ष्य के रूप में संसारी प्राणी मोह नहीं पाया जा सकता।
सोनीपत, अजीत कुमार: जीटी रोड गन्नौर स्थित गुप्तिधाम में राष्ट्र संत उपाध्याय 108 डा. गुप्ति सागर महाराज के सांनिध्य में सिद्ध चक्र महामंडल विधान के 11 महामंडल विधान में हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़ व हिमाचल से आए श्रावकों उपस्थित दर्ज करवाई। शुक्रवार को गुप्तिधाम में सिद्ध भगवान की पूजा कर विश्व शांति की कामना की गई।
इस अवसर उपाध्याय 108 गुप्ति सागर महाराज ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के बारे जानकारी देते हुए बताया कि हर एक श्रद्धालु को सिद्धचक्र महामंडल विधान करना चाहिए, क्योंकि अंतिम लक्ष्य के रूप में संसारी प्राणी मोह नहीं पाया जा सकता। इसलिए सिद्धों की आराधना के बिना मोक्ष लक्ष्य सिद्ध नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में सिद्धचक्र विधान का विशेष महत्व है। सिद्ध शब्द का अर्थ है कृत्य, चक्र का अर्थ है समूह और मंडल का अर्थ एक प्रकार से वार्ताकार यंत्र से है। इनमें अनेक प्रकार के मंत्र व बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है। मंत्र के अनुसार इसमें अनेक प्रकार की दिव्य शक्तियां प्रकट हो जाती है जो हमारे समस्त मनोरथों को पूर्ण करती है। इस अवसर पर बाल ब्रह्मचारिणी रंजना शास्त्री व निश्चित सागर महाराज भी मौजूद रहे।
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