सात साल की मेहनत के बाद मिली सफलता: रश्मि शर्मा ने राजस्थान जूडिशियल सर्विस एग्जाम में 35वां रैंक हासिल किया
श्मि ने अपनी बीकॉम और लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने भाई नितेश शर्मा से प्रेरणा लेकर आरजेएस बनने का सपना देखा। भाई नितेश ने खुद अपनी आरजेएस की तैयारी बीच में छोड़कर परिवार का व्यापार संभाला, लेकिन रश्मि को इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया।
- जयपुर की रश्मि ने पूरे परिवार के सहयोग और हौसले से आरजेएस परीक्षा में सफलता प्राप्त की
- भाई की प्रेरणा और परिवार का सहयोग बना सफलता का आधार
- संयुक्त परिवार का समर्थन: घर के कामों से मिली राहत
- प्रेग्नेंसी के दौरान भी नहीं छोड़ी पढ़ाई
- हर असफलता को बनाया सफलता की सीढ़ी
- परिवार के प्रति आभार: सपनों को पंख देने वाले लोग
जयपुर, (राम भगत शर्मा): जयपुर की रश्मि शर्मा जांगिड़ ने राजस्थान जूडिशियल सर्विस (आरजेएस) परीक्षा में 35वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार का नाम रोशन किया है। सात साल की अथक मेहनत और कई असफलताओं के बावजूद रश्मि ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने इस सफर को तपस्या बताया और कहा कि यह सफलता उनके लिए किसी बड़ी साधना से कम नहीं थी। 2021 में मात्र एक अंक से परीक्षा में पीछे रह जाने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि और अधिक मेहनत कर 2024 में यह मुकाम हासिल किया।
भाई की प्रेरणा और परिवार का सहयोग बना सफलता का आधार
रश्मि ने अपनी बीकॉम और लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने भाई नितेश शर्मा से प्रेरणा लेकर आरजेएस बनने का सपना देखा। भाई नितेश ने खुद अपनी आरजेएस की तैयारी बीच में छोड़कर परिवार का व्यापार संभाला, लेकिन रश्मि को इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने रश्मि को अपनी किताबें और सलाह देकर समझाया कि इस यात्रा में कभी पीछे मुड़ने की जरूरत नहीं है।
संयुक्त परिवार का समर्थन: घर के कामों से मिली राहत
रश्मि का विवाह एक संयुक्त परिवार में हुआ, जहां परिवार ने उनका पूरा समर्थन किया। उनकी सास नीलू जांगिड़ और बहन मीना शर्मा ने घर की जिम्मेदारियां संभाली ताकि रश्मि अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें। इसके साथ ही, उनके पति अभिषेक ने भी बेबी सिटिंग कर और वर्क फ्रॉम होम लेकर उनके पढ़ाई के समय को आसान बनाया।
प्रेग्नेंसी के दौरान भी नहीं छोड़ी पढ़ाई
2021 में जब रश्मि ने प्रेग्नेंसी के दौरान परीक्षा दी, तो 0.75 अंक से असफल रहीं। इसके बावजूद उन्होंने आठ से दस घंटे की नियमित पढ़ाई जारी रखी। कई बार थकान और मनोस्थिति में बदलाव से गुजरने के बावजूद, उन्होंने अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं हटाया। उनके परिवार और खासकर पति के सहयोग से वह इस कठिन समय में भी डटी रहीं।
हर असफलता को बनाया सफलता की सीढ़ी
2021 में मात्र एक अंक से परीक्षा में चूकने के बाद भी रश्मि का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ। उन्होंने फिर से तैयारी की और अपने परिवार का सपना पूरा करने का संकल्प लिया। उनके परिवार ने उन्हें मानसिक समर्थन दिया और किसी भी नकारात्मक टिप्पणी पर ध्यान नहीं देने की सलाह दी। अंततः, उनकी मेहनत और परिवार के समर्थन से 2024 में उन्होंने आरजेएस में 35वां रैंक हासिल कर लिया।
परिवार के प्रति आभार: सपनों को पंख देने वाले लोग
रश्मि ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पूरे परिवार को दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सास, पति और बहन ने उनका हर कदम पर साथ दिया। उनकी बहन ने बेटे की जिम्मेदारी संभाल कर उन्हें पढ़ाई में समर्पण का मौका दिया, और उनके पति ने व्यक्तित्व विकास के लिए प्रेरित किया। इस तरह, पूरे परिवार ने मिलकर उनकी सफलता की राह को आसान बनाया।
रश्मि की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पाने का साहस रखते हैं।
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