सोनीपत: खरखौदा अस्पताल हड़ताल मामले में एसएमओ का तबादला

खरखौदा में बतौर एसएमओ डा. सत्यपाल ने 11 जुलाई को चार्ज संभाला था। 15 जुलाई को अपनी जूनियर एसएसओ डा. आशा सहरावज व नर्सिंग ऑफिसर राजेश दहिया के विरोध में अनाज मंडी में दहिया खाप के पास पहुंचा था।

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सोनीपत, (अजीत कुमार): खरखौदा में चर्चित हड़ताल मामले में एसएमओ सत्यपाल को खरखौदा सीएचसी से कैरू सीएचसी भिवानी में ट्रांसफर किया गया है। उन्होंने सीएमओ के आर्डर मानने से इंकार कर दिया था। उनकी मांग मानने के बाद भी धरने पर डटे रहे और अन्य स्टाफ को भी धरने पर रोके रखा। ओपीडी सेवाओं के साथ साथ स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रम भी ठप पड़े रहे थे। सोनीपत प्रशासन व सिविल सर्जन की तरफ से लगातार रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जा रही थी। जिसके आधार पर एक्शन लिया गया है।

खरखौदा में बतौर एसएमओ डा. सत्यपाल ने 11 जुलाई को चार्ज संभाला था। 15 जुलाई को अपनी जूनियर एसएसओ डा. आशा सहरावज व नर्सिंग ऑफिसर राजेश दहिया के विरोध में अनाज मंडी में दहिया खाप के पास पहुंचा था। 16 जुलाई को डा. सत्यपाल ने सांकेतिक धरना देते हुए मरीजों की भी जांच की थी। लेकिन 17 जुलाई से हड़ताल का ऐलान करते हुए एसएमओ सत्यपाल खुद व कई डाक्टर हड़ताल करके धरने में बैठ गए थे। एचकेआरएन, आशा वर्कर व एमपीएचडब्लू कर्मी भी उनके साथ धरने पर बैठ गए थे। खरखौदा में मरीजों का इलाज करना बंद कर दिया था। धरने पर बैठे हुए स्वास्थ्य कर्मियों का आरोप था कि पहले कार्यकारी एसएमओ रही डा. आशा सहरावत व एक नर्सिंग आफिसर राजेश अनावश्यक तौर पर उन्हें परेशान करती है। उन दोनों का यहां से तबादला किया जाए। करीब 21 दिन यह हड़ताल चली। जिसके बाद एसएमओ डा. आशा सहरावत का तबादला चरखीदादरी व राजेश का तबादला यमुनागर जिले में किया गया। दूसरी तरफ डा. आशा सहरावत का कहना है कि 11 जुलाई तक किसी को कोई परेशानी नहीं था वे चार महीने से यहां पर कार्यकारी एसएमओ के रूप में सेवाएं दे रही थी। दर्द उस समय शुरू हुआ जब उनकी प्रमोशन हुई और उनकी पोस्टिंग भी यहीं हो गई। उनका आरोप है कि कुछ डाक्टर एवं स्टाफ नर्स यहां पर अस्पतालों में प्राईवेट प्रैक्टिस करते हैं, अस्पताल का माहौल खराब किया हुआ है। यहां पर शराब , हुक्का, सिगरेट पीते थे। रात की ड्यूटी नहीं देते थे। वेतन सरकार से ले रहे थे और निजी अस्पतालों में बैठते थे। यहां पर डिलीवरी करने की बजाए प्राईवेट में महिलाओं को डिलीवरी की सलाह देते थे। उन सभी पर उन्होंने  शिकंजा कसा था। जिसके कारण वे काम करने के बजाए धरने पर चले गए।

सोनीपत के सिविल सर्जन डॉ जय किशोर ने बताया कि 16 दिनों तक अस्पताल की सभी सेवाएं ठप करने, फील्ड के स्वास्थ्य कर्मियों को भी बुलाकर धरने पर बैठाने, मांग मानने के बावजूद भी हड़ताल कर मरीजों का इलाज न करने, स्वास्थ्य विभाग के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में एसएमओ सहित 7 स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ जिला प्रशासन की तरफ से एक्शन लेते हुए फाइल मुख्यालय भेजी गई थी। जिसके तहत एसएमओ सत्यपाल का तबादला भिवानी में किया गया है।

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