सोनीपत: क्रोध से बचें क्रोध समस्या का समाधान नहीं: डॉ मणिभद्र मुनि महाराज
श्री मणिभद्र जी महाराज सोनीपत के सेक्टर 15 स्थित जैन स्थानक मे चातुर्मास के दौरान शुक्रवार को श्रावकों को संबोधित कर रहे थे।
- दूसरे की गलती पर खुद को दंड देना क्रोध है, इसकी शुरुआत मूर्खता से होती है और पश्चाताप पर समाप्ति
सोनीपत, (अजीत कुमार): नेपाल केसरी मानव मिलन के संस्थापक राष्ट्र संत डॉ मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि परंतु क्रोध से बचें क्योंकि क्रोध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। दूसरे की गलती पर खुद को दंड देना क्रोध ही है। जिसकी शुरुआत मूर्खता से और पश्चाताप पर समाप्ति होती है। समझिये कि क्रोध किसी भी समस्या का हल नहीं है।
श्री मणिभद्र जी महाराज सोनीपत के सेक्टर 15 स्थित जैन स्थानक मे चातुर्मास के दौरान शुक्रवार को श्रावकों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा जिस तरह से एक छोटा सा अग्नि का कण पूरे जंगल को समाप्त कर देता है, इस तरह से थोड़ा सा क्रोध हमारे पूरे जीवन की आराधना को मिटा देता है। क्रोध का परिणाम कभी भी सकारात्मक या अच्छा नहीं आता। उन्होंने कहा कि यह शोध का विषय है की 9 घंटे मेहनत करने में जितनी उर्जा की समाप्ती होती है उतनी ही 15 मिनट के क्रोध में भी उतनी ही उर्जा समाप्त होती है। उन्होंने कहा कि जैसी हमारी दृष्टि होगी वैसी ही हमें सृष्टि दिखाई देगी। हममे हर परकार की स्थिति को स्वीकार करने की ईछा होनी चाहिए। दूसरे को देखकर हमें अपनी कमियो या नकरात्मकता को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। इस सृष्टि में सभी के पास कोई ना कोई काबिलियत और प्रतिभा अवश्य होती है। हमें उसे ही पहचाना है और आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक व्यक्ति परेशान है और स्वयं की इस समस्याओं में घिरा हुआ है।
महासाध्वी डॉ सृजना जी महाराज ने कहा कि क्रोध के समय हमारा व्यक्तित्व और हमारी भाषा बिगड़ जाती है। क्रोध से हमारे परिवार में कलह का कारण क्रोध है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कौवा हंस बनना चाहता है, और हंस तोता बनना चाहता है, परंतु तोता मोर बनना चाहता है और मोर कौवा बनना चाहता है। हमें इसी काबिलियत पर रहकर अपने आप को निखारना और आगे बढ़ाना है। महामंत्री त्रिलोकचंद जैन, शहर के मंत्री सुशील जैन, महावीर जैन, मामन जैन, विकास जैन, जगरोशन जैन, कुसुम जैन, अंजू जैन, राजेंद्र वर्मा सहित सैकड़ो भक्तजन मौजूद
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