विश्लेषण: लोकसभा चुनाव का कितना प्रभाव पड़ेगा विधान सभा चुनाव पर
हरियाणा प्रदेश में सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा को 2019 में सर्वाधिक 58 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन 2024 में 46.11 प्रतिशत वोट मिले 11.89 प्रतिशत वोट का नुकसान होने के साथ जो सीट 2019 में 10 सीट जीते थे तो 2024 में 05 सीट ही मिली।
सोनीपत, 7 जून (नरेंद्र शर्मा परवाना): हरियाणा प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान प्रमुख मुद्दे और राजनीतिक दलों की संभावनाएं वर्तमान के परिणामों का विधानसभा पर पड़ने वाला असर चर्चा में रहेंगी बहुत ही रौचक होने जा रहा है। इस बार भाजपा के सामने आधी सीट गंवाने के बाद कड़ी चुनौती है।
भाजपा के 11.89 प्रतिशत वोट के नुकसान का प्रभाव
हरियाणा प्रदेश में सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा को 2019 में सर्वाधिक 58 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन 2024 में 46.11 प्रतिशत वोट मिले 11.89 प्रतिशत वोट का नुकसान होने के साथ जो सीट 2019 में 10 सीट जीते थे तो 2024 में 05 सीट ही मिली। यह चितां का विषय है। इसके मुकाबले कांग्रेस को 2019 में 28 प्रतिशत ही वोट मिले जबकि 2024 में यह बढकर 42.67 प्रतिशत हो गए इसमें 15.67 प्रतिशत वोट का इजाफा हुआ और जहां एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिली थी जबकि इस बार 5 सीट मिली है। दोनों पार्टी ही इस विधान सभा में भी आमने-सामने रहेंगी। क्योंकि दूसरे दल कुछ खास लोकसभा में नहीं कर पाए तो विधान सभा में भी संभावनाएं कम ही है। अब मुकाबला त्रिकोणीय ना हो कर आमने सामने का ही रहेगा।
हरियाणा की राजनीति में प्रमुख मुद्दे जो समीकरण बनाएंगे
विधान सभा चुनाव में जिन मुद्दों को लेकर जनता अपना फैसला देगी इस पर गौर करने की जरुरत है। यह जमीनी हकीकत को समझना जरुरी है। प्रमुख मुद्दे हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है, और किसानों की समस्याएं, जैसे एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य), फसल बीमा, और सिंचाई सुविधाएं प्रमुख मुद्दे बने रहेंगे। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा, विशेषकर महामारी के बाद बेरोजगारी दर में वृद्धि के कारण। सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति, शिक्षा की गुणवत्ता, और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता महत्वपूर्ण चर्चा के बिंदु होंगे। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली और पानी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना भी एक बड़ा मुद्दा रहेगा। महिलाओं की सुरक्षा, अपराध दर, और पुलिस की कार्यशैली पर ध्यान दिया जाएगा। जातीय आरक्षण और उससे संबंधित विवाद भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बने रहेंगे।
यह राजनीतिक दल क्या प्रभाव दे पाएंगे
मैदान में रहने वाले प्रमुख राजनीतिक दलों भारतीय जनता पार्टी जो अभी सरकार में है।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) विपक्ष की भूमिका में है। जननायक जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के साथ अन्य दलों की संभावनाओं पर विश्लेषण करते हैं।
भाजपा की ताकत और कमजोरी जिनसे फेरबदल की संभावना
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मजबूती केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ: पीएम किसान योजना, उज्ज्वला योजना आदि का लाभ ग्रामीण मतदाताओं को मिला है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की स्वच्छ छवि रही। इसकी कमजोरी किसानों के बीच नाराजगी, सरकार की योजनाएं धरातल पर दिखाई नहीं देती हैं। बेरोजगारी और आर्थिक मंदी के प्रभाव एक बड़ा कारण बनेगा। वोट प्रतिशत का खिसकना इस चूनौती का सामना करना पड़ेगा आगे विधान सभा में यह हालात और कमजोर करेंगे। राजनीति में बड़ा फेरबदल होने की संभावनाएं है बहुत से राजनेता पार्टी बदलेंगे और इससे चुनाव परिणाम भी प्रभावित होंगे।
कांग्रेस की ताकत और कमजोरी बड़ी चुनौती बनेंगे
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मजबूती पारंपरिक वोट बैंक, विशेषकर अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग दोबारा से विश्वास जागना। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की लोकप्रियता और उनकी सरकार में किए जाने वाले विकास कार्यों को लोगों तक पहुंचाना। इसके साथ ही हरियाणा का जाट वोट के साथ नॉन जाट का एक मंच पर आना, दूसरे दलों के लिए बड़ी चुनौती बनेगा। पहले खास कर जाट वोट बंटता था लेकिन इनेलो जेजेपी की ओर से मोह भंग होने के कारण कांग्रेस को इसका लाभ मिलेगा।
कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी पार्टी के अंदरूनी संघर्ष और नेतृत्व में स्पष्टता की कमी। संगठन का विधासभा स्तर पर संगठित ना हो पाना। प्रभावी चुनावी रणनीति की कमी। चौधरी बिरेंद्र सिंह, कुमारी सेलजा, रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी को दरकिनार कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद को सुप्रीम दिखाने के कारण बड़ा खामियाजा पार्टी काे उठाना पड़ सकता है। यदि यह एक मंच पर आ गए तो हरियाणा में वोट प्रतिशत बढेगा और दूसरे दलों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी।
यह दल आने वाले समय में अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ेगे
जननायक जनता पार्टी की मजबूती दुष्यंत चौटाला की युवाओं में लोकप्रिय रही लेकिन धीरे धीरे अपनी पकड़ कमजोर करते चले गए हैं। बीजेपी के साथ गठबंधन के कारण पारंपरिक वोट बैंक में विभाजन हुआ है। पार्टी की सीमित संसाधन और चुनावी अनुभव की कमी के कारण संगठन लगभग बिखर गया इसलिए भविष्य अधर में है। बहुजन समाज पार्टी दलित वोट बैंक पर पकड़ तो है लेकिन राज्य में सीमित संगठनात्मक ढांचा और प्रभाव। प्रमुख नेताओं का अभाव है। इंडियन नेशनल लोकदल की मजबूती चौधरी देवी लाल की विरासत और कुछ क्षेत्रों में पारंपरिक समर्थन। इसकी कमजोरी पार्टी का विभाजन और नेतृत्व में स्पष्टता की कमी। चुनावी मैदान में अन्य दलों के मुकाबले कम प्रभाव। इस पार्टी को मुख्य रुप में जाट समुदाय की पार्टी माना जाता रहा है लेकिन अब वोटर का विश्वास कांग्रेस की ओर झुकता दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस और भाजपा ही टिक पाएंगी मैदान में
लोकसभा चुनाव 2024 के के दृष्टिगत चुनावों के परिप्रेक्ष्य में, हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणाम महत्वपूर्ण होंगे। भाजपा के सामने बड़ी चुनौती के रुप में कांग्रेस रहेगी बीजेपी को केंद्र की सत्ता में रहने का लाभ मिल सकता है, जबकि कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों को अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। किसान आंदोलन और बेरोजगारी जैसे मुद्दे विधानसभा चुनावों में भी प्रभाव डाल सकते हैं। इस प्रकार, हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 विभिन्न मुद्दों और दलों की रणनीतियों के साथ एक दिलचस्प मुकाबला होगा।
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