सोनीपत: 24 दिन की तपस्या पूर्ण, गुरु गोरखनाथ महिमा का हुआ गान
इस तपस्या का उद्देश्य गुरु गोरखनाथ महाराज की महिमा का बखान और ध्यान किया। इस अवसर पर राजेश स्वरूप महाराज ने सत्यवान स्वरूप महाराज को आशीर्वाद प्रदान किया।अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं ने सतकुंभा पर स्नान किया।
- सत्यवान स्वरूप महाराज ने सिद्धपीठ सतकुंभा तीर्थ धाम में पूरी की कठिन साधना
- अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं ने सतकुंभा पर स्नान किया
- सीताराम बाबा को नमन किया
सोनीपत, (अजीत कुमार): सिद्धपीठ सत कुंभातीर्थ धाम के पीठाधीश्वर राजेश स्वरूप महाराज के सानिध्य में हठयोगी सत्यवान स्वरूप महाराज ने 24 दिन की कठिन तपस्या पूरी की। इस तपस्या का उद्देश्य गुरु गोरखनाथ महाराज की महिमा का बखान और ध्यान किया। इस अवसर पर राजेश स्वरूप महाराज ने सत्यवान स्वरूप महाराज को आशीर्वाद प्रदान किया।अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं ने सतकुंभा पर स्नान किया।
तपस्या के दौरान, सत्यवान स्वरूप महाराज ने कठोर अनुशासन और योगिक क्रियाओं का पालन करते हुए अपनी साधना को पूरा किया। इस कठिन तपस्या के माध्यम से उन्होंने गुरु गोरखनाथ महाराज की अनन्य भक्ति और साधना की परंपरा को आगे बढ़ाया। गुरु गोरखनाथ महाराज को भारतीय योग परंपरा के महान संतों में से एक माना जाता है, जिन्होंने हठयोग की विधियों को विकसित किया और अपने शिष्यों को आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर प्रेरित किया।
पीठाधीश्वर राजेश स्वरूप महाराज ने कहा कि सत्यवान स्वरूप महाराज की तपस्या ने सिद्धपीठ सतकुंभा तीर्थ धाम की महिमा को और बढ़ाया है। यह तपस्या गुरु गोरखनाथ महाराज की अनुकम्पा और आशीर्वाद का प्रतीक है, जिसने सत्यवान स्वरूप महाराज को इतनी कठिन साधना पूरी करने में सक्षम बनाया।
सत्यवान स्वरूप महाराज की इस तपस्या को देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। कन्याओं का पूजन किया, हवन यज्ञ में पूर्ण आहुति दी गई। उन्होंने अपने गुरु राजेश स्वरूप महाराज के मार्गदर्शन और आशीर्वाद का उल्लेख करते हुए कहा कि यह तपस्या उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण साधना थी। मानव कल्याण के लिए यह तप किया है। गुरु गोरखनाथ महाराज की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि उनकी कृपा से ही यह साधना सफल हो सकी।
इस महान तपस्या की समाप्ति पर, सिद्धपीठ सतकुंभा तीर्थ धाम में विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित किए गए, सीताराम बाबा को नमन किया। जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया और सत्यवान स्वरूप महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। सिद्धपीठ के प्रबंध सूरज शास्त्री, अमन आचार्य, सोमबीर शास्त्री, सुमित शास्त्री आदि ने मंत्रोच्चारण किए। छबील लगाई गई।
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