सोनीपत लोकसभा सीट का अध्ययन: भाजपा और कांग्रेस के बीच हार-जीत के मायने
सतपाल ब्रह्मचारी की लोकप्रियता का सामाजिक कार्यों में सक्रिय योगदान और उनकी सरल छवि ने मतदाताओं को प्रभावित किया। उनके व्यक्तिगत संपर्क अभियान ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गठबंधन की रणनीति कांग्रेस ने अन्य स्थानीय दलों के साथ समझौता किया।
- इस चुनाव ने कई रिकार्ड बनाए पहले साधु संत सासंद बने
- कांग्रेस को सोनीपत लोकसभा सीट पर चौथी बार जीत मिली
- सोनीपत लोकसभा सीट से यह तीसरे ब्रह्मण सासंद बने
- जाट बाहुल्य सीट का तिलिस्म टूटा जाट नॉन जाट एक मंच दिखाई दिए
सोनीपत, (नरेंद्र शर्मा परवाना): सोनीपत लोकसभा सीट पर 2024 के चुनावों में कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी की जीत और भाजपा के मोहनलाल बडौली की हार ने हरियाणा की राजनीति में एक नई दिशा दी है। आईये, इस चुनाव के हार-जीत के कारणों और दोनों पार्टियों के प्रदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं…
कांग्रेस की जीत के तीन बड़े कारण
सबसे पहले तो कांग्रेस की जीत के कारण को जान लें इसमें स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दिया गया। कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को उठाया और समाधान की दिशा में ठोस योजनाएं प्रस्तुत कीं। किसानों की समस्याएं, बेरोजगारी, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार जैसे मुद्दों पर जोर दिया गया। दूसरा अहम मुद्दा रहा हरियाणा बनने से अब तक किसी भी पार्टी ने सोनीपत संसदीय क्षेत्र में जींद को टिकट नहीं दी थी। यह टिकट मिलने और भाजपा द्वारा कंडीडेट को बाहरी कहने पर जींद जिला के लोगों ने नारा दिया कि अभी नहीं तो कभी नहीं।
सतपाल ब्रह्मचारी की लोकप्रियता का सामाजिक कार्यों में सक्रिय योगदान और उनकी सरल छवि ने मतदाताओं को प्रभावित किया। उनके व्यक्तिगत संपर्क अभियान ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गठबंधन की रणनीति कांग्रेस ने अन्य स्थानीय दलों के साथ समझौता किया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सक्रियता जाट नॉन जाट वोटों का विभाजन कम हुआ और मतदाताओं का समर्थन मिला। तीसरा बड़ा कारण 2019 में भाजपा की जीत के पीछे प्रमुख कारण मोदी लहर थी, जो 2024 में मोदी लहर का कमजोर रही। जनता के बीच आर्थिक मंदी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर नाराजगी बढ़ी।
भाजपा की हार के कारण
भाजपा ने सतपाल ब्रह्मचारी को बाहरी कह कर पेश किया जबकि वे जींद जिला के रहने वाले हैं पाण्डु-पिडारा में इनका सवा सौ साल पुराना धार्मिक स्थल है जिसके वे मठाधीश हैं। यह जींद वालों को नागवार गुजरा जहां से लगभग एक लाख वोटों से जीत मिली थी वहीं मामला फंस गया। दूसरा भाजपा सरकार पर आरोप लगे कि वे वादों को पूरा करने में असफल रहे। स्थानीय विकास परियोजनाओं की धीमी गति और अधूरी योजनाओं ने जनता को निराश किया। अंतरराष्ट्रीय बागवानी मंडी गन्नौर में जीटी रोड के साथ 10 साल में शुरु नहीं हो पाई। तीसरा किसान आंदोलन का सीधा असर भाजपा पर पड़ा। किसानों की नाराजगी और विरोध प्रदर्शन ने भाजपा की लोकप्रियता को कम किया।
मोहनलाल बडौली के प्रचार अभियान में 800 से ज्यादा नुक्कड़ सभाएं, हर विधान सभा क्षेत्र की विजय संकल्प रैली में कमजोरियां रही इंवेट ज्यादा रहा लेकिन लोगों से तालमेल नहीं बना पाए। भाजपा की हार में इसने बड़ी भूमिका निभाई। महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने भी भाजपा के खिलाफ माहौल तैयार किया। लोगों के काम बात नहीं की की गई इसलिए हार की दिशा में बढे।
इस परिणाम के साथ नए रिकार्ड बने हैं
यह परिणाम ऐतिहासिक जीत है सबसे बड़ी बात चौथी बार कांग्रेस के सांसद बना सोनीपत से बने। यह पहले साधु संत सांसद सोनीपत से बने। सोनीपत जाट बाहुल्य सीट गिनी जाती रही हो लेकिन इस सीट पर इससे पहले निर्दलीय अरविंद शर्मा, भाजपा से दो बार रमेश चंद्र कौशिक और तीसरे कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी ब्रह्मण सांसद बने हैं। इसलिए यह कहना उचित हैं यहां सभी जाट नॉन जाट एक साथ मिल कर जीत हासिल करते हैं। विजेता कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी को वोट: 548,682 प्रतिशत: 50.1% मिले जिन्होंने स्थानीय मुद्दों पर ध्यान, उम्मीदवार की लोकप्रियता,गठबंधन की रणनीति पर मतदाताओं ने मोहर लगाई।
भाजपा के उम्मीदवार मोहनलाल बडौली को वोट: 526,866 प्रतिशत: 48.1% के साथ जनता निर्णय इस प्रकार से रहा विकास कार्यों में असफलता, किसान आंदोलन का प्रभाव, नेतृत्व की कमजोर रणनीति, आपसी तालमेल का अभाव के कारणों के दृष्टिगत जनादेश दिया।
2024 के सोनीपत लोकसभा चुनाव परिणाम ने दिखाया कि स्थानीय मुद्दे, उम्मीदवार की छवि और पार्टी की रणनीति जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस ने अपनी नीतियों और रणनीतियों से मतदाताओं का विश्वास जीतने में कामयाबी हासिल की, जबकि भाजपा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस चुनाव परिणाम ने हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण स्थापित किए हैं और आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण सबक दिए हैं।
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