सोनीपत: डीसीआरयूएसटी को प्रोजेक्ट व प्रयोगशाला के लिए 80 लाख रुपए मिले
भारत सरकार के डीएसटी व आईआईटी, रुड़की द्वारा संयुक्त रूप से आई हब दिव्य संपर्क चलाया जा रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से तीन प्रोजैक्ट पर प्रस्तुति दी गई थी। तीनों प्रोजेक्ट को स्वीकार किए गए हैं।
- एक वर्ष में विश्वविद्यालय बनाएगा वेले रोबोट व डिवाइस
- रोबोट स्वयं करेगा वाहन की पार्किंग, डिवाइस से कुछ ही घंटों में पता लगेगा रिपोर्ट का
सोनीपत: दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल ऑटोमेटिक पार्किंग पर गुरुवार से कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। रोबोट वाहन को स्वयं पार्क करेगा। विश्वविद्यालय एक ऐसा डिवाइस बनाएगा, जिसके बाद मनुष्य को उसकी रिपोर्ट कुछ ही घंटों में मिल जाएगी। डीसीआरयूएसटी के प्रोजेक्ट को भारत सरकार के डीएसटी व आईआईटी रुड़की ने मंजूरी दे दी है। विश्वविद्यालय को प्रोजेक्ट व प्रयोगशाला के लिए 80 लाख रुपए मिले हैं।
कुलपति प्रो.श्री प्रकाश सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में विश्व में वहीं राष्ट्र अग्रणी श्रेणी में शामिल हैं, जिसमें नवाचार व अनुसंधान पर विशेष फोकस किया गया। नवाचार व अनुसंधान में अच्छा कार्य करने वाले शिक्षक व शोधार्थी को प्रोत्साहन के तौर पर इंसेंटिव देना शुरू किया जाएगा।
भारत सरकार के डीएसटी व आईआईटी, रुड़की द्वारा संयुक्त रूप से आई हब दिव्य संपर्क चलाया जा रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से तीन प्रोजैक्ट पर प्रस्तुति दी गई थी। तीनों प्रोजेक्ट को स्वीकार किए गए हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा.विकास नेहरा के नेतृत्व में पार्किंग की समस्या के निराकरण के लिए वेले रोबोट बनाया जाएगा। रोबोट स्वयं वाहन की पार्किंग करेगा तथा मालिक को वाहन रोबोट ही वापस करेगा। बेले रोबोट सेंसर के माध्यम से रिक्त स्थान का सदुपयोग करेगा।
डा.नेहरा के नेतृत्व में विश्वविद्यालय एक ऐसा उपकरण बनाएगा, जिसके मध्य में सैंपल रखने पर कुछ ही घंटों में बीमारी का पता चल जाएगा। वहीं बायो मेडिकल की असिस्टेंट प्रोफेसर डा.गीता के नेतृत्व में 3 डी प्रिंटिंग के माध्यम से एक ऐसा सैंसर बनाया जाएगा, जो मनुष्य के वाइटल पैरामीटर, जिसमें क्लोस्ट्रोल व ट्रागिलसराइड आदि को सैंसर के माध्यम से जल्द परिणाम बताएगा। डीसीआयूएसटी को तीनों प्रोजेक्ट एक वर्ष में पूर्ण करने हैं।
भारत सरकार के डीएसटी व आईआईटी, रुड़की के आई हब दिव्य संपर्क के माध्यम से विश्वविद्यालय को तीन प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए 40 लाख रुपए की राशि मिली है। जबकि 40 लाख रुपए ही विश्वविद्यालय में प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए प्रयोगशाला विकसित करने के लिए दिए गए हैं। प्रयोगशाला के कोर्डिनेटर प्रो.मनोज दूहन व डा.विकास नेहरा होगें। विश्वविद्यालय को तीनों प्रोजेक्ट एक वर्ष में पूर्ण करने होंगे।
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