दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: फर्निचर की मुख्य कड़ी है जांगिड़

अब वर्तमान मे हर पिता अपने बच्छों को उच्चतम पढ़ाई करवा रहे है, इस कारण अच्छी सरकारी नौकरी मिल जाती है या फिर उच्चतम शिक्षण की वजह से प्राईवेट सेक्टर मे (मल्टी नेशनल कम्पनी यों) अच्छी पगार वाली नौकरी नव युवा की पहली पसंद बन चुकी है।

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प्रशंसा के हक्दार
फर्निचर का नाम जब भी जुबा पर आता है तो राजस्थान के कलाकारों का(जांगिड़, सुथार) नाम बिन चूक आ ही जाता है, वैसा देखा जाये तो कलाकार पुरे भारतवर्ष में है, फिर भी जब नये जमाने के फर्निचर की बात होती है तो जांगिड़ो को याद किया जाता है, अक्सर यह देखने वह सुनने को मिलता है जी।
फर्निचर के बारे में जांगिड़ सुथारों की क्या बात है इनका कोई हाथ नहीं पकड़ सकता है, फर्नीचर का काम करवाने वाले सेठजी का भी यही विचार मन मे पक्का होता है की मेरा काम कोई जांगिड़ के हाथ से हो।
जांगिड़ो के हाथ में काम की सफाई(फिनीसींग) वह न्युनतम कला का हाथखंडा मौजूद है, इसी कारण हर सेठजी, फर्नीचर डिजाइनरों की पहली पसंद जांगिड़ ही होते है।

पहली पसंद है जांगिड़ मिस्त्री
जांगिड़ फर्निचर कार्य की पहली पसंद क्यो बना, इसके पीछे एक लंबी लिस्ट हो सकती है, मगर मुख्य कारण यह हो सकते है।
1)काम सही व मजबुती के साथ करना।
2)काम समय पर पुरा करना
3)काम मे ईमानदारी बै शक निभाना।
4)काम करते समय काम से मतलब नही रखते हुये एक प्रकार की प्रेम भाव रखकर फेमेली रिलेशन स्थापित करते है।
5) यह प्रेम भाव के रिलेशन से ही उनहै बार बार काम के ठेके मिलते रहते है।
6)शायद यह सब उन्है विश्वकर्मा जी से वरदान प्राप्त है, इसी कारण हर जांगिड़ बंधू यह कर पाता है।

समय के साथ चलो
अब समय बदल रहा है हर कोई भी हर किसी प्रकार के काम को अपना रहा है, जाती के हिसाब किताब की सिमाएं समाप्त होती जा रही है , साथ ही जांगिड़ बंधू भी अब धीरे धीरे फर्नीचर कार्य से दूर जाता नजर आ रहा है जी। समय के साथ चलो, यह बदलाव की भावना को लेकर नई पिढ्ढी इस बदलाव के मूड मे है जी।
इसके मुख्य कारण पढ़ाई का उच्चतम स्तर पाना है।

अब वर्तमान मे हर पिता अपने बच्छों को उच्चतम पढ़ाई करवा रहे है, इस कारण अच्छी सरकारी नौकरी मिल जाती है या फिर उच्चतम शिक्षण की वजह से प्राईवेट सेक्टर मे (मल्टी नेशनल कम्पनी यों) अच्छी पगार वाली नौकरी नव युवा की पहली पसंद बन चुकी है।

बदलाव यह प्रक्रती का नियम
हर पिता के मुंह से यह भी मैंने कहते हुए सुना है की मैंने फर्निचर लाईन में काम किया है अब मेरे बच्छों को इसमे नही डालूंगा, कुछ और लाईन देखेंगे।
दुसरा कारण अब लकड़ी व्यवसाय से हटकर व्यौपार की लाईन पकड़ना है,कारण यह है की यह व्यवसाय हर कोई करने लगा है इस कारण अब फर्निचर कार्य मे आय भी कम पड़ रही है साथ ही काम करने वाले कारागीर भी हर ठेकेदार को चाहिये उतने आसानी से मिल नही रहे है यही मुख्य अड़सन वर्तमान मे जो मौजूद है।

आगमन व्यौपार मे
व्यौपार में जाने की प्रथा एक दुसरे को देखकर खुद का अपना आत्म विश्वास जाग उठता है वह अनुभव के लिये किसी रिश्तेदार की दुकानों मे सात आठ बर्ष सिखने के तौर पर नौकरी कर लेते है वह प्राथमिक अनुभव पुरा होते ही खुद का अपना व्यवसाय शुरु कर देते है, अक्सर यह भी वर्तमान में दिखाई पड़ता है, और यह होना भी चाहिए यह अच्छी बात है।

परिवर्तन यह प्रकर्ती का नियम है , शायद नवी पिढ्ढी इसी नियम के पालन मे जुटी हुई लग रही है।

गरुड़ झेप
उचाईयों पर वही लोग पहुचते है जो प्रतिसोध नही परिवर्तन की भावना को स्विकार करते है , शायद नवी पिढ्ढी इसी परिवर्तन की ओर कूस करती हुई दिखाई दे रही है, उड़ान पंखों से नही होसलों से होती है यही गरुड़ झेप मेरे समाज का नव युवा लेते दिखाई दे रहा है सो यह अच्छी बात है।
इसी मे मुझे जांगिड़ समाज का उज्ज्वल भविष्य दिखाई दे रहा है, इसे मैं शुभ संकेत मान रहा हूं जी!!

राष्ट्र धर्म
अब मैं लेखक के तौर पर मेरे समाज के युवाओं से नम्र निवेदन करुंगा की आप समाज के विकास के साथ साथ राष्ट्र धर्म (राष्ट्र प्रगति) भी निभाने की चेष्टा करे!
मुजे आशा ही नही बल्की पूर्ण विश्वास है की जांगिड़ समाज की नवी पिढ्ढी भी नया भारत (न्यु इंडिया) के विकास की मुख्य कड़ी साबित होगी, इसी विश्वास के साथ मेरे इन दो शब्दों को विराम देता हूं!!

समाज मे विद्वान सत साहित्य के लेखको व कवियों को मेरा चरण स्पर्श…….🙏🙏
लेख मे कही त्रुटी हुई हो तो समक्ष्व

🙏जय श्री विश्वकर्मा जी री सा🙏
लेखक: दलीचंद-जांगिड़ सातारा(महाराष्ट्र)
श्री विश्वकर्मा मंदीर सातारा शहर (महाराष्ट्र)

 

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