सोनीपत: पंडित लख्मीचंद के पौत्र पंडित विष्णु दत्त शर्मा ने सुनाया चाप सिंह का किस्सा

चाप सिंह 6 महीने का अपनी पत्नी को आश्वासन देकर चला जाता है। जब 6 महीने बीत जाते हैं तो चाप सिंह छुट्टी लेने के लिए बादशाह के पास पहुंचता है। सेना में बादशाह का रिश्तेदार शेरखान पठान भी सेनापति था।

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खरखौदा:  शहर के छपडेश्वर धाम मंदिर में चल रहे सांग मे वीरवार को पंडित लख्मीचंद के पौत्र पंडित विष्णु दत्त शर्मा ने चाप सिंह का किस्सा सुनाते हुए रागिनियों के माध्यम से बताया कि गढ़ नोमहले मारवाड़ में राजा जसवंत सिंह राज किया करते थे। उनके पुत्र का नाम चाप सिंह था। राजा जसवंत सिंह व उनकी रानी अधिकतर बीमार रहते थे। राजा जसवंत सिंह शाहजहां बादशाह के पास गए और कहा कि मेरी मृत्यु के बाद मेरे पुत्र को अपनी सेना में कोई पद दे देना और मेरे राज्य को अपने राज्य में मिला लेना।

कुछ समय के पश्चात राजा जसवंत सिंह व रानी स्वर्ग सिधार जाते है। बचपन में ही चाप सिंह की शादी श्रीनगर में हो गई थी लेकिन गौना नहीं हुआ था। चाप सिंह शाहजहां की सेना में सेनापति के पद पर कार्य कर रहे थे। चाप सिंह 10 दिन की छुट्टी लेकर अपनी पत्नी को लेने के लिए श्रीनगर रवाना होते हैं। चाप सिंह अपनी पत्नी सोमवती को लेकर गढ़ नोमहले में पहुंच जाता है। लेकिन जब छुट्टी के 2 दिन रह जाते हैं तो वह चिंतित हो जाता है कि वह अपनी पत्नी को अकेला कैसे छोड़े। सोमवती चाप सिंह को विश्वास दिलाती है कि वह पतिव्रता स्त्री है। आप किसी बात की चिंता न करें। आप अपनी निशानी पटका व कटार देकर चले जाएं ,जिन्हें देखकर मैं भोजन ग्रहण कर लूंगी।

चाप सिंह 6 महीने का अपनी पत्नी को आश्वासन देकर चला जाता है। जब 6 महीने बीत जाते हैं तो चाप सिंह छुट्टी लेने के लिए बादशाह के पास पहुंचता है। सेना में बादशाह का रिश्तेदार शेरखान पठान भी सेनापति था। शेर खान पठान व चाप सिंह के बीच जानमाल की शर्त लग जाती है कि चाप सिंह की पत्नी सोमवती पतिव्रता स्त्री है या नहीं । शेर खान पठान चाप सिंह के शहर में पहुंचकर एक दूती को चाप सिंह की बुआ बनाकर सोमवती के पास भेजता है। दूती किसी बहाने से सोमवती से पटका व कटार ले लेती है और सोमवती को स्नान करते समय बायी जांघ में तिल के निशान को देख लेती है। इसके बाद दूती शेर खान पठान को कटार, पटका सौपकर सोमवती के तिल के निशान की जानकारी देती है।

शेर खान पठान सबूत को लेकर शाहजहां के पास पहुंचता है। इसी सबूत के आधार पर चाप सिंह को फांसी की सजा सुनाई जाती है। जब चाप सिंह से आखरी इच्छा पूछी जाती है तो वह एक दिन का समय लेकर अपनी पत्नी सोमवती से मिलने के लिए जाता है। चाप सिंह अपनी पत्नी सोमवती से पूछता है कि जो वह निशानी देकर गया था, वह कहां है। तब सोमवती ने कहा कि वह उसकी बुआ ले कर चली गई है। तब चाप सिंह कहता है कि वह मेरी बुआ नहीं बल्कि सेनापति शेर खान पठान आया था, जो यह निशानी लेकर गया है। अब भरे दरबार में मुझे फांसी दी जाएगी। इसके बाद सोमवती नचनियो के साथ मिलकर दरबार में नाचना गाना करती है।

बादशाह ने नाच गाने से खुश होकर इनाम मांगने की बात कही। नचनियो ने सोमवती की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह इनाम मांगेगी। नचनिया के रूप में सोमवती शाहजहां से कहती है कि महाराज आप के दरबार में मेरा एक चोर है। वह चोर कल मेरे पास नाच गाना सुनने गया था। जिसने 5 हजार रुपए और मेरे जेवर चुरा लिए। जब शाहजहां ने पूछा कि वह चोर कौन है तो सोमवती ने शेर खान पठान की तरफ इशारा किया। शेर खान पठान ने अपने धर्म ग्रंथ पर हाथ रखकर कसम उठाई कि मैंने इस स्त्री की शक्ल कभी नहीं देखी है। तब सोमवती कहती है कि जब उसने मेरी शक्ल कभी नहीं देखी है तो इसने मेरा पतिव्रता धर्म कैसे नष्ट कर दिया। मैं चाप सिंह की पत्नी सोमवती हूं। शाहजहां को पूरी जानकारी मिलने के बाद शेर खान पठान को फांसी की सजा सुनाई गई और चाप सिंह को रिहा किया गया। इसके बाद सोमवती ने शाहजहां से शेरखान पठान की जान माफ करने की गुहार लगाई। इस तरह सोमवती अपने पतिव्रता धर्म को सिद्ध करने में सफल हुई।

इस मौके पर महंत बाबा मोहन दास,पार्षद आजाद सिंह, पार्षद मोहन, नगर पालिका पूर्व उपचेयरमैन अजीत सिंह सैनी, पंडित सूर्य दत्त, जय भगवान शर्मा, धर्मवीर पटवारी, अनिल कुमार सेन, आनंद दहिया बरौना व क्षेत्र के सैकड़ों श्रोता मौजूद रहे।

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2 Comments
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