दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की धनसंपदा

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कवि शब्दों की दुनिया में उपासक स्वरुप होता है, करुणा, दया, क्षमा, याचना, प्रार्थना,उपासना, प्रेम ये सब बालक कवि के प्रेमी मित्र होते है वह कवि इन छोटे शिशु सखाओं के साथ अठखेलियाँ करता रहता है,बाल लिलाएं करता रहता है, इसीलिए कवि रमता योगी कहलाता है, शब्दों की साधना से साध लिया जीवन अपना, शास्त्रों में पारंगत हासिल कर नये शब्दों का अविष्कार करे, वही श्रेष्ठ कवि, लेखक, साहित्यकार बन जाता है।

हिन्दुस्तान की पहली कविता आलाखण्ड दसवी शताब्दि में लिखी गई थी जिसके लेखक जगनीक थे, वह हिन्दुस्तान पर इसी काल खंड से बाहरी आक्रमण शुरु हुए थे, कभी वे हारे कभी हम हारे, यह दौर अंग्रेजों के जाने तक क्रमशह चलता रहा है, तब से कवि प्रथा चली आ रही है, जनता को जागरूक करने के लिए अनेक कवियों ने समय समय पर अनेक कविताएं लिखी थी,वह चेतना (जोश) का संचार किया है, हम कवियों ने कभी युद्ध का समर्थन नही किया है पर अपने स्वाभिमान पर होता प्रहार देख युद्ध व स्वाभिमान का अन्तर भी भली भांति जानते है, तब से लेकर वर्तमान तक यह कविताओं का दौर चल ही रहा है। नये जमाने के कवि प्राचीन इतिहास को जानकर अपने अपने तरीके से रचनाएं लिखते है………

✍ साहित्य का भण्डार शब्दों से भरा जाता है……..

-शब्दों का संसार-
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शब्द रचे जाते हैं,
शब्द गढ़े जाते हैं,
शब्द मढ़े जाते हैं,
शब्द लिखे जाते हैं,
शब्द पढ़े जाते हैं,
शब्द बोले जाते हैं,
शब्द तौले जाते हैं,
शब्द टटोले जाते हैं,
शब्द खंगाले जाते हैं,

#अंतत:…….
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शब्द बनते हैं,
शब्द संवरते हैं,
शब्द सुधरते हैं,
शब्द निखरते हैं,
शब्द हंसाते हैं,
शब्द मनाते हैं,
शब्द रूलाते हैं,
शब्द मुस्कुराते हैं,
शब्द खिलखिलाते हैं,
शब्द गुदगुदाते हैं,
शब्द मुखर हो जाते हैं,
शब्द प्रखर हो जाते हैं,
शब्द मधुर हो जाते हैं,

#फिर भी………
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शब्द चुभते हैं,
शब्द बिकते हैं,
शब्द रूठते हैं,
शब्द घाव देते हैं,
शब्द ताव देते हैं,
शब्द लड़ते हैं,
शब्द झगड़ते हैं,
शब्द बिगड़ते हैं,
शब्द बिखरते हैं
शब्द सिहरते हैं,

#किंतु……..
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शब्द मरते नहीं,
शब्द थकते नहीं,
शब्द रुकते नहीं,
शब्द चुकते नहीं,

#अरथार्त…..
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शब्दों से खेले नहीं,
बिन सोचे बोले नहीं,
शब्दों को मान दें,
शब्दों को सम्मान दें,
शब्दों पर ध्यान दें,
शब्दों को पहचान दें,
ऊँची लंबी उड़ान दे,
शब्दों को आत्मसात करें…
उनसे उनकी बात करें,
शब्दों का अविष्कार करें…
ध्यान से सुने …..
गहन सार्थक विचार करें…..
व ध्यान से समझें, फिर उत्तर दें

#क्योंकि…….
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शब्द अनमोल हैं…
ज़ुबाँ से निकले बोल हैं,
शब्दों में धार होती है,
शब्दों की महिमा अपार होती,
शब्दों का विशाल भंडार होता है,
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शब्द ब्रह्म स्वरुप होते है, शब्द अजर-अमर होते है, शब्द का विशाल भण्डार ही लेखक, साहित्यकारों, वह कवियों की धन-संपदा (धन-संपत्ति) होती है।
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आखिर में जाते जाते………
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और सच तो यह है कि-
शब्दों का अपना एक संसार होता है, कवि, साहित्यकार माँ शारदा की उपासना कर ज्ञान अर्जित कर अपने क्षैत्र में पारंगत होकर अपनी रचनाएं लिखते है……..
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 गुरुजनों से प्राप्त जानकारी 

जय श्री विश्वकर्मा जी री सा
कवि: दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो:  9421215933

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2 Comments
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