दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्री-वेडिंग नहीं है रित हमारी
जो मुझे दिखाई दे रहा है वह लिखना यह एक लेखक का पहला काम है, यही मेरी कलम् का धर्म है। जोदिखता है वह लिखता हूं हमनें कितने ही पश्चिमी संस्कृति के रिती रिवाजों को अपनाया है वह जीवन में उतारा है वह जी रहे है।
✍ लेखक की कलम से…….
वर्तमान के युग में प्रचार-प्रसार के अनेकों माध्यम के द्वारा अनेक सांस्कृतिक रिती-रिवाजों का आदान-प्रदान बड़ी ही तेजी से हो रहा है इसमे कुछ भी संदेह नहीं है, ओर यह संदेह होना भी नहीं चाहिए कारण खुलम खुला समाज, सोसाईटी में दिख रहा है।
जो मुझे दिखाई दे रहा है वह लिखना यह एक लेखक का पहला काम है, यही मेरी कलम् का धर्म है। जोदिखता है वह लिखता हूं हमनें कितने ही पश्चिमी संस्कृति के रिती रिवाजों को अपनाया है वह जीवन में उतारा है वह जी रहे है। जैसे उदाहरणार्थ “हेप्पी बर्थ डे” , “31 डिसेंबर” “अप्रेल फूल” “वेलेन्टाईन डे” ओर कुछ कमी रह गई थी सो उसकी कमी पुरी करने अब आ गया है नया ट्रेंड ” प्री-वेडिंग” जो दो दिन, चार दिन व एक सप्ताह तक भी चलाया जा रहा है, व यह कार्यक्रम है भी बहुत खर्चिक,,,,,, सुनने में आ रहा है की प्री-वेडिंग शूटिंग के खर्चे का बजट अलग अलग अपनी जेब के जोर के हिसाब से होता है, जो वर्तमान में पहले से ही शादी के बढ़े चढ़े खर्चों में ओर शादी के बजट को बढाकर रख दिया है जो समाज में हर परिवार को झेल पाना मुश्किल हो रहा है, अपना संस्कृति छोड़कर दुसरे के (पश्चिमी कल्चर) रितीरिवाजों को अपनाना सरासरी गलत ही कहा जाएगा, साथ इस रिती रिवाज के की नफे- तोटे भी बहुत से हो सकते है, ओर है भी इसको भी समझना होगा, कहावत यह भी है की ” हर नक्ल- अक्ल में रुपांतर नहीं होती है”।
किसी अनजान नदी किनारे, पहाड़ों की चट्टान पर या किसी पेड़ के नीचे व किसी फूलों के रंग बिरंगे बाग बगीचे में यह “प्री-वेडिंग” नामक नये खेल की शूटिंग की जाती है जो बिन्द – बिन्दणी को अलग अलग पौशाकें, ज्वैलरी पहनाकर शूट करने वाला कँमेरा मँन अलग अलग गाने पर नाच के अलग अलग स्टेप्स सिखाकर नचवाता है तब इन औपचारिक विवाह बन्धन में बन्धने जा रहे लड़का लड़की को ऐसा ऐहसास वह शूटिंग करने वाला करवाता है, दोनो के अंग प्रर्दशन व अंग स्पर्श से नेसर्गीक चुम्बकीय शक्ती की भी हानि होती है फिर भी इस कप्लस् (बिंद-बिंदणी की जोड़ी) को लगता है की आज हम दोनो हिरो-हिरोईन हो गये है वह हमारी शादी की कोई फिल्म की शूटिंग हो रही है वह इस फेम में बोकलाकर कई गलत फोटो (कम कपड़ों में) भी दे देते है जो नहीं देने चाहिए वह ऐसे फोटों परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर देख भी नहीं सकते है।
लड़का लड़की के दोनो की नेसर्गीक चुम्बकीय शक्ती का इसमे हयाश (कम होना) होता है व कभी कभी लड़की के डान्स स्टेप ठीक से नहीं होने पर शूटींग के पश्चात यह सगाई लड़के की तरफ से छूटने के किस्से भी सुनने में आते रहे है व इस शूटिंग के दृश्यों का सगाई छूटने के बाद गलत स्तेमाल भी लड़को की तरफ से हुआ है यह भी सुनने में आया है वह यह वादास पद मामले न्यायलय की भेट चढ़ गये है जो की एक सभ्य समाज के लिए शर्मनाक बात है, कहते है की लड़की का कँरीयर यह काच के बर्तन के समान होता है, इसे ध्यान से सम्भालने की जबाबदारी माँ बाप की होती है, पर यह तनिक नुकसान होता दिखाई दे रहा है इसीलिए जो दिखता है वह लिखना पड़ता है, इसका समाज में विरोध होना चाहिए वह यह नवीन प्रथा (प्री-वेडिंग शूटिंग) बंद होनी चाहिए।
एक मराठी में जुनी कहावत है की……”उतावला नवरा गुडध्याला बाशिंग” अशी एक जुनी म्हण आहे ती बदलून आता “उतावले नवरा-नवरी करीत प्री – वेडिंग शूटींग” अशी करावी लागेल।
ह्या सगळ्या गोष्टी जुनी पिढी ला आवड़त नाही मणून लग्नाच्या मंडपात दबक्या आवाजात चर्चा केली जात आहे, ह्या अनावश्यक खर्चाला आळा घातला पाहिजे, सर्व स्तरातून यांचा विरोध केला पाहिजे।
अब अनेक शादीयों के मंडप बूजर्गो को मैंने दबी जुबान से ही सही पर इस प्री-वेडिंग शूटिंग का विरोध करते देखा है व आने वाले भविष्य की ओर कलयूग की झलक का इशारा करते कहते सुना है।
अब कई सुशिक्षित समाजों में प्रबुद्ध ज्ञानीयों के द्वारा इस प्रथा का बहिष्कार (विरोध) भी किया जाना शुरु हो गया है जो आगे चलकर स्वाभिमान से दिखाई भी देगा, इस लेख में उपरोक्त लिखे सभी विचार मेरे प्रर्सनल है, किसी को इस लेखन से ठेस पहुंची है तो इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं जी…….. 👏
सारांश = समाज में यह प्री-वेडिंग शूटिंग बंद होनी चाहिए यही लेख लिखने का उद्देश्य है, समाज को सतर्क करना हमारी प्राथमिकता रहती है, समय समय पर आने वाले संभावित धोकों से अवगत कराना हमारा कर्तव्य है।
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जय श्री ऋषि अंगिरा जी की
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लेखक दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मोबाईल 9421215933
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