कामयाबी के कदम:राजमिस्त्री की बेटी प्रीति ने भारत को हॉकी एशिया कप दिलाया
पिता शमशेर सिंह की बेटी प्रीति की कप्तानी में जूनियर महिला हॉकी टीम ने चैंपियनशिप जीतने के बाद उनके घर में खुशी का माहौल है पिता चिनाई का काम करते हैं राजमिस्त्री हैं। यह गांव खरक गागर जींद से सोनीपत में 2002 में आए थे।
- प्रीति की भाग्य विधाता बनी प्रीतम सिवाच
सोनीपत: महिला जूनियर हॉकी एशिया कप के फाइनल में साउथ कोरिया को हराकर भारत चैंपियन बन गया है। इसमें हॉकी टीम की कप्तान प्रीति की अहम भूमिका है। प्रीति का जीवन संघर्षों से भरा है। प्रीति के परिवार के पास कभी दो वक्त खाना खाने तक के लिए पैसे नहीं होते थे। प्रीति के पिता शमशेर सिंह राजमिस्त्री का काम करते हैं और उनकी मां सुदेश गृहिणी हैं। सुदेश खेतों में मजदूरी करती थीं। इनकी मुलाकात प्रीतम सिवाच से हुई, उसने प्रीति के भाग्य को ही बदल दिया। जूनियर हॉकी टीम की कप्तान प्रीति का जन्म 25 दिसंबर 2002 को हरियाणा के सोनीपत में हुआ हॉकी स्टिक से खेलना शुरू किया।
पिता शमशेर सिंह की बेटी प्रीति की कप्तानी में जूनियर महिला हॉकी टीम ने चैंपियनशिप जीतने के बाद उनके घर में खुशी का माहौल है पिता चिनाई का काम करते हैं राजमिस्त्री हैं। यह गांव खरक गागर जींद से सोनीपत में 2002 में आए थे। यहां आने के बाद चिनाई का काम कर रहे हैं। शमशेर सिंह बताते हैं कि रघबीर पहलवान का लड़का बलवान यहां प्रीतम सिवाच महिला हॉकी अकेडमी की जिम्मेदारी संभालता है, वह वहां उनके यहां पर चिनाई करता था आपस में सुख दुख की बतला लेते। तब उसने कहा कि तुम अपनी बेटी को यहां हॉकी खेलने के लिए भेजो प्रीति 6वीं कक्षा में पढ रही थी। उसने प्रीतम सिवाच के पास बेटी प्रीति को भेजना शुरू करें प्रीति को उन्होंने सब कुछ दिया हॉकी स्टिक दी, आने जाने के किराया तक दिया। जो उन्होंने किया कोई दूसरा नहीं करता मैं तो यही कहूंगा कि प्रीति के भाग्य की विधाता प्रीतम सिवाच बनी है। उसी की बदौलत आज पूरे विश्व में ऊंचा नाम किया। प्रीति का बड़ा भाई विक्रम बिजली का काम करता है। अब तो लगभग डेढ़ साल से प्रीति की रेलवे में भी नौकरी लग गई है। पूरा परिवार प्रीतम सिवाच का दिल से शुक्रिया अदा करता है।
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