दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: किताब व ग्रन्थ में क्या फर्क है……?
हमारे सनातन धर्म की परिभाषा सिखाता है, हमें राम राज्य की कल्पनाओं से रु बरु कराते है ऐसे हमारे यह महान ग्रन्थ होते है। इसलिए चार वेद, महाभारत, रामायण, गीता, यह ग्रन्थों की श्रैणी में आते है व बाकी उपनिषदों, दर्शन शास्त्र, काव्य संग्रह यह धार्मिक किताबों की श्रैणी में आते है।
✍ लेखक की कलम से…..
किताबों में वह ग्रन्थों में बहुत सा फर्क होता है, किताबों में ज्ञान होता है इतिहास लिखा होता है परन्तु ग्रन्थ वह होता है जो हमारे मन व मस्तिष्क की ग्रन्थियों को खोल देता है वह ग्रन्थ कहलाता है जी, हमारे वैदिक काल को दर्शाता है।
हमारे सनातन धर्म की परिभाषा सिखाता है, हमें राम राज्य की कल्पनाओं से रु बरु कराते है ऐसे हमारे यह महान ग्रन्थ होते है। इसलिए चार वेद, महाभारत, रामायण, गीता, यह ग्रन्थों की श्रैणी में आते है व बाकी उपनिषदों, दर्शन शास्त्र, काव्य संग्रह यह धार्मिक किताबों की श्रैणी में आते है।
इतिहास कारों की कलम से रेखांकित की हुई इतिहास का संग्रह अब कई किताबों में इतिहास के बारे में पढ़ने से जानकारी हासिल होती है……
हमारा जीवन बहुत ही छोटा है वह ग्रन्थ देव, ऋषि मुनियों ने बहुत ही पहले से मानव कल्याण के लिए लिख रखे है जो आज के युग में भी मनुष्य जीवन जीने की कला सिखते है। अनेक लेखकों ने अनेक पुस्तकें लिख रखी है तो अनेक कवियों ने काव्य संग्रह लिख रखे है जिसमे अनेक कविताएं ऐसी तर्क वितर्क से प्रेरित है जो हमें आज भी राजनीति व समाज में अगुवाई करने का मौका देती है, सिख देती है, पुराने इतिहास की याद दिलाती है। धन्य वे सभी कलमकार जो अपने जीवन काल के दृश्यों को अपनी कलम से रेखांकित कर एक इतिहास रचा है।
महान कवि व संस्कृत के महान ज्ञाता बाल्मीकि, कवि कालिदास जी, तुलसीदास जी, रवींद्र नाथ टैगोर, माँ मीराबाई, प्रेम दास मुंशी, कवि दिनकर जी जैसे अनेकों अनेक कवियों ने अपनी रचनाएं लिखी है।
मैं इन सभी महान कलमकारों को नमन: करता हूं…. 🙏🙏
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जय श्री विश्वकर्मा जी री सा
लेखक दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
पैत्रिक गांव खौड जिला पाली राजस्थान
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