हनुमान जन्मोत्सव: सिद्ध पीठ श्री सीताराम सन्त सेवा मंदिर में हर्षोल्लास के साथ मना हनुमान जन्मोत्सव

रुद्रावतार हनुमान जी के जन्मोत्सव पर भारी तादाद में उपस्थित धर्म प्रेमी श्रद्धालुओ पर ज्ञान गंगा की अमृत वर्षा करते हुए महामंडलेश्वर श्री राम गोविन्द दास महात्यागी जी महाराज ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के सेवक, कार्य साधक संकट मोचन हनुमान जी की महिमा अपरंपार है।

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  • हनुमान जी के स्मरण मात्र से दूर भागती है भूत-प्रेत, पिशाच जैसी अनिष्टकारी शक्तियाँ : महात्यागी

पूर्वी दिल्ली: सिद्ध पीठ श्री सीताराम सन्त सेवा मंदिर एवम गौशाला (स्थित : चंदू पार्क पुरानी अनारकली दिल्ली -51) में राम भक्त संकटमोचन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्मोत्सव आज अंतर्राष्ट्रीय महात्यागी खालसा के श्री महंत एवम महामंडलेश्वर श्री राम गोविन्द दास महात्यागी जी महाराज के पावन सानिध्य में धूमधाम के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर श्री भीष्म लाल शर्मा चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन एवम समाजसेवी राजीव शर्मा, विजय गुप्ता, राजेश शर्मा, तपेश्वर भारद्वाज, ज्ञानेश्वर भारद्वाज, राजेंद्र कुमार, बी एम गुप्ता, लालाराम, मनमोहन, नारायण दास, रणवीर सिंह व बिमलेश शर्मा सहित हजारों धर्म प्रेमी श्रद्धालु बाबा ( हनुमान जी ) का आशीर्वाद लेने पहुंचे।

सिद्ध पीठ में आयोजित किए गए हनुमान जन्मोत्सव समारोह के दौरान जहां सुबह 8 बजे हनुमान जी का फल व फूलों के साथ अलौकिक शृंगार किया गया वही साढ़े 8 बजे प्रभु राम का स्मरण करते हुए संगीतमय सुन्दर काण्ड के पाठ का भव्य शुभारंभ हुआ जिसका समापन दोपहर 12 बजे हनुमान जी को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने के साथ हुआ । इस अवसर पर विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया था ।

रुद्रावतार हनुमान जी के जन्मोत्सव पर भारी तादाद में उपस्थित धर्म प्रेमी श्रद्धालुओ पर ज्ञान गंगा की अमृत वर्षा करते हुए महामंडलेश्वर श्री राम गोविन्द दास महात्यागी जी महाराज ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के सेवक, कार्य साधक संकट मोचन हनुमान जी की महिमा अपरंपार है। उनके स्मरण मात्र से ही भूत-प्रेत, पिशाच तथा अनिष्टकारी शक्तियाँ दूर भाग जाती हैं। ज्ञात रहे हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता हैं कि जो सशरीर आज ( कलियुग) भी ब्रह्माण्ड में विद्यमान हैं।

इस अवसर पर श्री भीष्म लाल शर्मा चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन राजीव शर्मा ने कहा कि यह कटु सत्य है कि कलियुग में संसार में जहां भी राम कथा होती है वहां पवन पुत्र रुद्रावतार हनुमान जी सशरीर उपस्थित रहते हैं। हनुमान जी की कृपा उन्ही पर बरसती हैं जो उनका स्मरण सच्ची श्रद्धा के साथ करते है ।

भगवान श्री राम बाल्य काल से ही सदा शिव की आराधना करते और भगवान शिव भी श्री राम को अपना परम उपास्य तथा ईष्ट देवता मानते हैं किन्तु साक्षात नारायण ने जब नर रूप धारण कर श्री राम के नाम से अवतार ग्रहण किया तो शंकर जी शिव रूप में नर रूप की कैसे आराधना कर सकते थे। इसीलिए उन्होंने राम की भक्ति के लिए हनुमान जी के रूप में  अवतार लिया ।

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2 Comments
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