58वां वार्षिक निरंकारी संत समागम: सौहार्द और दिव्यता का उत्सव है 58वां वार्षिक निरंकारी संत समागम; स्वेच्छा सेवाओं का शुभारम्भ पुणे की धरा पर

समागम की तैयारियों का शुभारंभ 25 दिसंबर, 2024 को संत निरंकारी मंडल के प्रचार-प्रसार इंचार्ज मोहन छाबड़ा ने किया। इस अवसर पर मिशन के वरिष्ठ सदस्य और श्रद्धालु भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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पुणे, राजन गिल: परमात्मा की पहचान से सौहार्द और शांति की राह पर अग्रसर, 58वां वार्षिक निरंकारी संत समागम सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में 24 से 26 जनवरी, 2025 तक पुणे के विशाल मैदान में आयोजित किया जाएगा। इस दिव्य समागम का उद्देश्य मानवता को दिव्यता, प्रेम और सौहार्द से जोड़ते हुए एक शांतिपूर्ण और आत्मिक वातावरण का निर्माण करना है।

समागम की तैयारियों का शुभारंभ 25 दिसंबर, 2024 को संत निरंकारी मंडल के प्रचार-प्रसार इंचार्ज मोहन छाबड़ा ने किया। इस अवसर पर मिशन के वरिष्ठ सदस्य और श्रद्धालु भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह में मोहन छाबड़ा ने कहा, “यह समागम सत्गुरु की असीम कृपा से आयोजित हो रहा है और इसमें वही सत्य का संदेश दिया जाएगा, जो युगों-युगों से संतों ने मानवता को दिया है।”

Moving on the path of harmony and peace with the recognition of God, the 58th annual Nirankari Sant Samagam will be organized in the vast grounds of Pune from 24 to 26 January, 2025 under the holy patronage of Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj and respected Nirankari Rajpita Ramit Ji. The purpose of this divine gathering is to create a peaceful and spiritual environment by connecting humanity with divinity, love and harmony.
58वां वार्षिक निरंकारी संत समागम: सौहार्द और दिव्यता का उत्सव है 58वां वार्षिक निरंकारी संत समागम; स्वेच्छा सेवाओं का शुभारम्भ पुणे की धरा पर

“ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्मज्ञान की ओर”
उन्होंने कहा कि संत निरंकारी मिशन मानवता और विश्वबंधुत्व का संदेशवाहक है। परमात्मा की पहचान से मानव जीवन वैर, द्वेष और ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों से मुक्त होकर प्रेम, सौहार्द और सेवा के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है। आत्मज्ञान प्राप्त कर, मानव को धरती का वरदान बनने के लिए प्रेरित करना ही इस आयोजन का मूल उद्देश्य है।

पुणे को दिव्यता का गौरव
1968 से निरंकारी संत समागमों की परंपरा महाराष्ट्र में चली आ रही है। इस वर्ष पुणे नगरी को 58वें वार्षिक संत समागम की मेजबानी का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जिसमें लाखों श्रद्धालु और सेवा-भाव से ओत-प्रोत सेवादल के सदस्य उत्साह के साथ भाग लेंगे।

यह समागम “विश्वबंधुत्व का प्रकाश स्तंभ” बनकर, मानवता को प्रेम, सौहार्द और दिव्यता का संदेश देगा। श्रद्धालु भक्त अपनी निष्काम सेवाओं से इस दिव्य आयोजन को सफल बनाने हेतु तन्मयता से जुटे हैं। समागम स्थल पर की जा रही तैयारियां इस बात का प्रमाण हैं कि यह आयोजन आध्यात्मिक उत्कर्ष का प्रतीक बनेगा। आइए, इस परमात्मा से जुड़ने और आत्मिक शांति के इस महान उत्सव का हिस्सा बनें।

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