देश की शान हरियाणा:हरियाणा का “हरियाणा” नाम कैसे पड़ा
हरियाणा का नामकरण कैसे हुआ, यह प्रश्न इतनी बार पूछा गया है कि गिनना भी मुश्किल है। जहां कहीं भी, जब कभी भी हरियाणा के इतिहास, संस्कृति, साहित्य या किसी अन्य विषय पर बात चलती है, तो यह प्रश्न अनायास ही हमारे सामने आ खड़ा होता है।
हरियाणा का नामकरण कैसे हुआ, यह प्रश्न इतनी बार पूछा गया है कि गिनना भी मुश्किल है। जहां कहीं भी, जब कभी भी हरियाणा के इतिहास, संस्कृति, साहित्य या किसी अन्य विषय पर बात चलती है, तो यह प्रश्न अनायास ही हमारे सामने आ खड़ा होता है। और फिर शुरू होती है लम्बी बहस। अलग-अलग मतों को स्वीकार्य बनाने के लिए कितने ही विचार, तर्क, साक्ष्य प्रस्तुत किए जाते हैं।
हरियाणा ‘आर्याना’ का बिगड़ा रूप
कुछ विद्वानों का कहना है कि हरियाणा ‘आर्याना’ का बिगड़ा रूप है। यह स्थान आर्यों का उद्गम स्थान है। इसीलिए इसे आर्याना कहते थे – और आर्याना से हरियाणा बन गया। कुछ विद्वान् कहते हैं कि यहां पहले आभीर (अहीर) बसते थे। इन्हीं के नाम से पहले आभीरायणा बना फिर बिगड़ कर हरियाणा बन गया। कुछ लोग ’हर’ (शिव) और ’हरि’ (भगवान् विष्णु, इंद्रदेव या परशुराम या कृष्णजी) या हरिश्चंद्र के नाम से हरियाणा के बनने की बात कहते हैं। कुछ ऋग्वेद में एक जगह आए ‘हरयाण’ शब्द से इसका संबंध जोड़ते हैं। लेकिन वहां हरयाण शब्द एक राजा का विशेष गुण बखानता है, किसी प्रदेश का नाम नहीं है। कुछ लोग इसे ’दशार्ण’ (दस किलों वाला) और कुछ ‘बहुधान्यक’ आदि शब्दों से इसे बना मानते हैं। पर न ही यह विद्वान्, लेखक और न ही उपुर्युक्त अन्य लेखक अपने मत की पुष्टि हेतु कोई भी ऐतिहासिक साक्ष्य देते हैं। इनके मत कल्पना की खूंटी पर टंगे हैं।
अपनी कल्पना का घोड़ा ऐसा ताबड़तोड़ दौड़ाया कि…
इस विषय में, एक लेखक ने तो अपनी कल्पना का घोड़ा ऐसा ताबड़तोड़ दौड़ाया कि वह यह कह कर ही रुका कि पहले यहां जंगल थे और उनमें चोर रहते थे, जो लोगों का माल असबाब ‘हर’ (लूट) लेते थे, इसी हरने से हरियाणा बन गया है। इससे बेतुकी बात और कोई शायद ही हो सके।
’हरियाली’ से ही ’हरियाणा’
पिछले दिनों हमने इस विषय पर गहराई से विचार किया। बहुत सारे ऐतिहसिक दस्तावेज देखे, खंगाले और विद्वानों से खूब चर्चा की। इस लम्बी-चौड़ी कसरत-कवायद के बाद मैं जिस निष्कर्ष पर पहुंचा वह यह है कि प्रदेश की ’हरियाली’ से ही ’हरियाणा’ नाम का संबंध है। पहले यहां घने, विस्तृत जंगल थे। तरह-तरह के पेड़-पौधों, वनस्पतियों की भरमार थी। बड़ी सुंदर, लच्छेदार, पौष्टिक तत्त्वों से भरपूर घासों से प्रदेश पूरी तरह से आच्छादित था। और यही कारण है कि यहां सारे देश की तुलना में श्रेष्ठतम पशु होते थे। बढ़िया नस्ल की गायों, भैंसों, भेड़-बकरियों के लिए प्रदेश प्रसिद्ध था – और आज भी है। यहां पहले हाथी और घोड़ों की बढ़िया से बढ़िया नस्लें तक पलती थीं। जंगलों में हिरणों की डारें चौकड़ी भरती फिरती रहती थीं। अन्य बहुत से पशुओं के विद्यमान होने के भी उल्लेख हैं। यह सब यहां की हरियाली का ही तो कमाल था।
हरिवंश पुराण में ‘हरियाणा’, को ‘हरियाला’ कहा
अतः यही बात उचित है। फिर इसके ठोस ऐतिहासिक प्रमाण भी हैं, जैसे हरिवंश पुराण में ‘हरियाणा’, को ‘हरियाला’ कहा है। बाद के ग्रंथों और शिलालेखों में, जैसा कि नीचे देखेंगे, हरिताणक (हरितआरण्यक) आदि शब्द मिलते हैं। सर जदुनाथ सरकार जैसे प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता इसीलिए इस मत को सही मानते हैं। हमारे विचार में अब सब गैर-ऐतिहासिक अटकलें छोड़ कर हमें भी यह मत स्वीकार कर लेना चाहिए।
कैसे पड़ा हरियाणा नाम
हरियाणा शब्द सबसे पहले दसवीं शती में देखने में आता है। उस समय के प्रसिद्ध जैन कवि पुष्पदंत ने, जो कि रोहतक के पास का रहने वाला था, अपने ग्रंथ ’महापुराण’ (रचना काल 952-972 ई.) में हरियाणउ’ शब्द का प्रयोग किया है। इसी काल के अन्य स्थानीय जैन कवि श्रीधर ने ’पाषाणउचरिउ’ में ’हरियाणाए, देसे असंख्य गामे’ पद्यांश में इसे दोहराया है। इसके बाद तो कई जगह थोड़ा हेर-फेर से इस शब्द का प्रयोग हुआ है। उदाहरणार्थ, लालकिला संग्रहालय, दिल्ली में रखे इस शिलालेख को देखें: देशोसहित हरियानाख्यः पृथिव्यां स्वर्गसन्निभः। यहां साफ तौर पर हरियाना शब्द प्रयुक्त हुआ है। राजस्थान के एक शिलालेख में ’हरितानक’ शब्द देखा है। कुछ बाद के लेखों में ’हरियाणक’ ’हरिबाणक’, आदि शब्द भी इस्तेमाल किए गए हैं। इनमें थोड़ा भेद जो है वह लोक उच्चारण के फर्क, लेखकों या उत्कीर्णकों की असावधानी का नतीजा है। चौदहवीं शताब्दी के बाद यह फर्क एकदम मिट जाता है। अतः इसके बाद ’हरियाणा’ शब्द ही प्रयोग में लाया गया है।
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