गुप्ति सागर जी महाराज :निराश मत हो सफलता का सुरक्षा कवच लो

राष्ट्र संत शाकाहार प्रवर्तक, महायोगी, मुनि श्री राष्ट्र संत डा. गुप्ति सागर जी महाराज का जीवन विविधताओं से भरा हुआ है यह लेखक, कवि, गीतकार, साहित्यकार, संत, भक्त, महात्मा एक दिव्य पुरुष हैं तो वहीं दर्शनिक भी हैं।

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गुप्ति सागर जी महाराज की संपादित पुस्तक के अंश

शांति दूत मुनि श्री राष्ट्र संत डा. गुप्ति सागर महाराज
राष्ट्र संत शाकाहार प्रवर्तक, महायोगी, मुनि श्री राष्ट्र संत डा. गुप्ति सागर जी महाराज का जीवन विविधताओं से भरा हुआ है यह लेखक, कवि, गीतकार, साहित्यकार, संत, भक्त, महात्मा एक दिव्य पुरुष हैं तो वहीं दर्शनिक भी हैं। महान संत डा.उपाध्याय श्री 108 गुप्ति सागर जी मुनिराज गढ़ाकोटा, सागर मध्य प्रदेश में चार दिसंबर 1957 में इंदिरा देवी व श्रेष्ठी खूबचंद जैन के घर पैदा हुए। 28 मार्च 1978 अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी, में ब्रह्मचर्य लिया तो ऐलक दीक्षा 10 जनवरी 1980 को सिद्ध क्षेत्र नैनागिरि में प्राप्त की, भाद्र शुक्ला दूज 20 अगस्त 1982 नैनागिरि तथा दीक्षा गुरु संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज से लेकर 17 फरवरी 1991, अतिशय क्षेत्र गोम्मटगिरि में उपाध्याय  की उपाधि से अलंकृत हुए।

डी लिट् की मानद उपाधि समलंकृत किया
इन्होंने काव्य, खंड काव्य, कविता संग्रह, निबंध, ललित निबंध, बातचीत, विविध पुस्तकों का लेखन किया। साहित्यिक, शैक्षणिक एवं राष्ट्र कल्याण की विविध विद्याओं से प्रभावित होकर 16 अक्टूबर 2005 को हेमवती नंदन बहुगुणा, गढ़वाल विश्व विद्यालय ने तत्तकालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्बदुल कलाम के मुख्य अतिथि एवं एनडी तिवारी मुख्य मंत्री उतरांचल की उपस्थिति में राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल द्वारा डी लिट् की मानद उपाधि समलंकृत किया गया। इस महान कर्मयोगी संत ने गन्नौर में जीटी रोड स्थित पंचबालयति गुप्तिसागर धाम का निर्माण किया जो राष्ट्रीय राज मार्ग एक अपने आपमें अद्भूत कलाकृति को समेटे हुए आकर्षक धर्म स्थल बन गया है।

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मेरे साहित्यिक मित्र हरेंद्र रापडिया के माध्यम से मुलाकात हुई

वर्ष 2001 में तब मै पानीपत से प्रकाशित दैनिक भास्कर में गन्नौर से समाचार प्रेषण की सेवा दे रहा था और इस दौरान मेरे साहित्यिक मित्र हरेंद्र रापडिया के माध्यम से  हमारी पहली मुलाकात संत गुप्ति सागर जी से गन्नौर जैन धर्मशाला में हुई थी। इसके बाद इनका ओज-तेज हमें इनकी ओर खींचता चला गया। समय-समय पर मिलने पर समाचार लिखे वे प्रकाशित हुए धीरे-धीरे महाराज श्री से वार्ता के दौर चलने लगा तो उन्हें हम लिखते चले गए। मेरे मित्र राष्ट्रीय सैनिक संस्था के हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष राम कुमार मलिक ने कहा कि इसको पुस्तक का रुप दिया जाए। बहुत ही महत्वपूर्ण संवाद हैं।

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सफलता की कुंजी है यह पुस्तक

जब पुस्तक लेखन का ध्यान बना तो हमने दैनिक भास्कर से 31 जनवरी 2018 को स्वेच्छा से त्याग पत्र देकर इस पुस्तक के लेखन कार्य को गंभीरता से लिया। क्योंकि समाचार लेखन और पुस्तक लेखन में काफी अंतर रहता है। इसके लिए मुझे खुद को तैयार करना था ध्यान को एकाग्रचित कर, इसका लेखन आरंभ किया। यह पुस्तक कोई उपन्यास नहीं है। जीवन निर्माण करने के लिए अहम दस्तावेज है, सफलता की कुंजी है, कामयाबी का मंत्र है, सफलता का सूत्र है। यदि आपने इसको दिल से पढा तो यकीनन आपकी जिन्दगी बदल जाएगी। आपकी समस्याें का समाधान हो जाएगा।

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यह पुस्तक वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2020 तक की लंबी संवाद यात्रा

हम अपने पाठकों के सामने उन वार्तालापों को कलमवद्ध करके प्रस्तुत कर रहे हैं, जो अपने आप में नायाब हैं। यकीनन यह पुस्तक वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2020 तक की लंबी संवाद यात्रा है। इसमें यह मान कर चलिये कि एक बच्चे का जन्म हुआ, इसके बाद वह किशोर से जवान हो गया। अब यह पुस्तक भी जवानी की दहलीज पर है। परम श्रद्धेय गुप्ति सागर जी महाराज के साथ हुए संवाद के दौरान ऐसे मंत्र, ऐसे सूत्र मिले जो आपकी जिंदगी को ऊंचा मुकाम देंगे। मैने इस पुस्तक में लिखे लेखन जीवन में उतारा है, मुझे आनंद की अनुभूति हुई तो आप से सांझा कर रहा हूं।

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आपने इन संवादों की सुगंध ली तो जीवन महकता चला जाएगा

जैसे-जैसे आप इस पुस्तक को पढते जाएंगे , आपको इसमें विविधता मिलेगी। कहीं पर मेरी नालायकी की झलक भी मिल सकती है तो कहीं महाराज श्री की विद्वता भी सामने आएगी। आपके जीवन में कभी कोई समस्या आए तो यह पुस्तक आपको उसका समाधान बताएगी। जीवन जीने की कला सिखाएगी। यदि आपने इन संवादों की सुगंध ली तो जीवन महकाएगी।  मुझे इस पुस्तक लेखन के लिए प्रोत्साहित करने वाले एक और खास सहयोगी मिले दिल्ली निवासी सुरेश चंद जैन संघपति हैं। जिन्होंने इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए सहयोग देने की जिम्मेदारी ली । काफी लंबे समय से यह पुस्तक आर्थिक अभाव के कारण रुकी रही। लेकिन 6 अक्टूबर 2020 को सुरेश चंद जैन जी के साथ इस चर्चा हुई तो उन्होंने कहा कि महायोगी गुप्ति सागर जी महाराज की यह पुस्तक तो शब्दों का वो कोहेनूर हीरा है जिसकी कीमत लगा पाना आसान नहीं। आपने दिल से लिखी है तो इसको जनमानस तक पहुंचाने के लिए समाज सेवा का जिम्मा हम लेते हैं। मै हृदय से भाई सुरेश चंद जैन संघपति जी का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इस जिम्मेदारी को संभाला तो इससे मेरा उत्साह वर्धन हुआ।

इसलिए यह पुस्तक बहुत महत्वपूर्ण

मेरे लिए परम श्रद्धेय परम आदरणीय दिव्य स्वरूप डॉ उपाध्याय है गुप्ति सागर जी महाराज के दिव्य व्यक्तित्व को यह पुस्तक समर्पित है। बात तो यही है कि तेरा तुझको सौंपते क्या लागे अब मेरा। उनकी बात उन्हें ही सौंप दी। वह तो एक ज्ञान का सागर हैं, हम एक बूंद हैं। वह तो उगता हुआ सूरज हैं तो हम एक दीपक हैं । ऐसे व्यक्तित्व से मिलकर जिसमें अलग-अलग विधाओं के अंदर अपने आप को इस संसार के सामने पेश किया है। यह लाजवाब व्यक्तित्व है, अपने आप में खास है । उनकी आवाज सम्मोहन पैदा करती है। उनके मुखारविंद से निकलता एक-एक शब्द ब्रह्म वाक्य बन जाता है। जब वह बोलते हैं अंतः करण को शीतलता प्राप्त होने लगती है। ऐसा लगता है जैसे स्वयं मां सरस्वती उनके कंठ विराजमान होकर शब्दों का उच्चारण कर रही है, ऐसा लगता है उनके मुख से निकला एक एक शब्द एक महावाक्य बन जाता है। उनके बोले गए शब्द अपने आप में एक मंत्र बनते हैं ।जीवन जीने का सूत्र बनते हैं। मैं कोटि-कोटि नमन करता हूं, वंदन करता हूं, ऐसे व्यक्तित्व का अभिनंदन करता हूं। ज्ञान का उजाला है, यह महानता का सफर रूप है। यह कर्मयोगी महात्मा श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है। बहुत बारीकी से सालों साल इनके साथ रहकर के मुझे इनको अध्ययन करने का, इनकी बातों को सुनने का, समझने का और खुद के अंदर उनको उतारने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैंने 1980 से लिखना आरंभ किया था गीत, रागनी, कविता , गजल ,शेर, रुबाई, कहानी लिखी समाचार, समाचार समीक्षा लिखी मैंने अलग-अलग लेखन किया लेकिन इस महात्मा के साथ मिलकर जो अध्यात्म चिंतन, मनन और मंथन के पश्चात जो लेखन हुआ वह अपने आप में खास इसलिए यह पुस्तक बहुत महत्वपूर्ण है।

 

ज्ञान ज्योति दर्पण की खास प्रस्तुति

इस पुस्तक को आप तक पहुंचाने के लिए जो प्रयास किए गये हैं इनको सुधार की गुंजायश हो सकती है। यह पहला संस्करण आपके हाथों में है इस पर आप अपनी प्रतिक्रया देंगे तो अगले संस्करण में आपके सुझावों के अनुसार इसको दोबारा प्रकाशित किया जाएगा। तब आपकी भागीदारी भी इसमें होगी एक अध्याय जोड़ेगे पुस्तक से आपने क्या सीखा आपको इसका कितना लाभ मिला सब को इसमें शामिल करेंगे।

 

जब कभी निराश होने लगे तो इसे पढ़ लिया करो

अगर आपको अक्सर

ऐसा लगता है कि सफलता आपके हाथ नहीं आ रही, तो शायद अब आपको अपनी कोशिशों में कुछ बदलाव लाने की जरूरत है। यहां इस पुस्तक में ऐसे सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर आप जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं। हमारा प्रयास है कि जनवरी 2021 में यह पुस्तक के रुप में नये साल का उपहार आपके हाथों सौंपें। आप अपनी प्रति बुक करवा सकते हैं। बाकी जानकारी के लिए आप हमारे व्हाट्सएप 9416485943 पर आप अपना नाम पुरा पता लिखकर भेज दीजीए। आपकी प्रति सुरक्षित हो जाएगी।  

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